ग्वालियर (ईन्यूज एमपी)-अंचल में कोरोना संक्रमण की विस्फोटक स्थिति के लिए राजनीतिक आयोजनों को जिम्मेदार ठहराते हुए जनहित याचिका दायर हुई है। याचिका पर संभवतः अंतिम फैसला 28 सितंबर को आए, लेकिन हाई कोट ने रविवार को जारी अंतरिम आदेश में प्रशासन को राजनीतिक गतिविधियों को कंट्रोल करने को कह दिया है। इस आदेश से जिला प्रशासन को राजनीतिक दबाव से मुक्त होने का बड़ा हथियार मिल गया है। कोर्ट के आदेश के बाद राजनीतिक दल नफे-नुकसान का गणित लगा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि अंचल में प्रदेश सरकार के मंत्री व पूर्व विधायक, जो भाजपा के संभावित उम्मीदवार हैं, लोकार्पण व भूमिपूजन की आड़ में राजनीतिक आयोजन कर लाभ उठाने की कोशिश करेंगे। प्रशासन को भी इजाजत देने में कोर्ट का आदेश आड़े नहीं आएगा, लेकिन कांग्रेस को अब हर कार्यक्रम के लिए के लिए कलेक्टर से अनुमति लेनी पड़ेगी। उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने अभी तारीख का एलान नहीं किया है, लेकिन भाजपा व कांग्रेस में राजनीतिक आयोजनों की होड़ लग गई है। भाजपा तीन दिवसीय सदस्यता महाअभियान के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया उपचुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में करोड़ों के भूमि पूजन व लोकार्पण करने के बहाने क्षेत्र के लोगों से संवाद कर चुके हैं। वहीं भाजपा पर कोरोना संक्रमण फैलाने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस भी राजनीतिक आयोजन में पीछे नहीं रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ तीन दिन पहले हजारों की भीड़ के साथ रोड शो कर चुके हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि ऐसे आयोजनों से अंचल में प्रतिदिन कोरोना मीटर पूरे वेग से दौड़ रहा है। लोगों की जानें जा रही हैं, इसलिए हाई कोर्ट को राजनीतिक आयोजनों को नियंत्रित करने का दखल देना पड़ा है। हालांकि भाजपा के जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी व शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने की बात कह रहे हैं।