दिल्ली(ईन्यूज़ एमपी)- आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद निवार्चन आयोग फिर से आधार को वोटर आईडी से जोड़ने की तैयारी कर रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि निर्वाचन आयोग के सचिवालय को सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों का अध्ययन करने के लिए कहा गया है। निर्वाचन आयोग ने आधार नंबर को वोटर आईडी से जोड़ने का काम फरवरी 2015 में शुरू किया था, लेकिन अगस्त 2015 में सुप्रीम कोर्ट में निजता का हनन और आधार की वैधता से जुड़ा मामला आने के बाद इस योजना को स्थगित कर दिया गया। तब तक लगभग 38 करोड़ मतदाता पहचान पत्र आधार से जोड़े जा चुके थे। देश में इस समय 75 करोड़ रजिस्टर वोटर हैं। आयोग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को दिए अपने फैसले में इसे लेकर कुछ नहीं कहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि आयोग शीर्ष अदालत के इस फैसले का अध्ययन कर इसे यथाशीघ्र लागू करने के उपाय करेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग के सचिवालय से चुनावी राजनीति को अपराधमुक्त करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के लिये कहा गया है। उन्होंने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव से दूर रखने के फैसले को लागू करने के लिए उम्मीदवारों के लिये निर्धारित आवेदन और इससे जुड़ी प्रश्नावली में बदलाव करना होगा। वहीं यह पूछे जाने पर कि क्या यह योजना आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले पूरी हो जाएगी, तो मुख्य चुनाव आयुक्त का कहना था कि योजना को शुरू करने भर की देर है, काम को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश होगी। इसमें कितना वक्त लगेगा अभी नहीं कहा जा सकता। आयोग के सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में आयोग ने 2017 में एप्लीकेशन लगा कर कहा था कि आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने को अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा और यह पूरी तरह से स्वैच्छिक होगा। आयोग अपने अध्ययन के दौरान इसका भी ध्यान रखेगा। सूत्रों ने बताया कि भविष्य में आने वाली सेवाएं जैसे इलैक्ट्रानिक या इंटरनेट वोटिंग केवल उन्ही मतदाताओं को मिलेगी, जिनके आधार नंबर वोटर कार्ड से जुड़ चुके होंगे। आयोग के सूत्रों ने बताया कि आधार को जोड़ने से न केवल मतदाता सूची में दोहराव को राका जा सकेगा, बल्कि एडवांस मैकेनिज्म जैसे घरेलू प्रवासियों को भी रिमोट वोटिंग का अधिकार दिया जा सकेगा। आयोग का कहना है कि आधार लिकिंग होने से कई राजनीतिक दलों की मतदाता सूची में डुप्लीकेट नाम होने जैसी शिकायतें भी खत्म हो जाएगीं। इसके अलावा लोगों की चुनावों में विश्वसनीयता भी बढ़ेगी। गौरतलब है कि पिछले महीने चुनाव सुधारों को लेकर चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के बीच हुई बैठक में सभी दलों ने आधार को वोटर आईडी से लिंक किए जाने का समर्थन किया था।