दिल्ली(ईन्यूज़ एमपी)- सरकार ने विदेशों से कर्ज लेने के नियमों में ढील देने तथा गैर-जरूरी आयातों पर पाबंदी लगाने का शुक्रवार को निर्णय किया. रुपये में गिरावट और बढ़ते चालू खाते के घाटे पर अंकुश लगाने के इरादे से यह कदम उठाया गया है। अर्थव्यवस्था की सेहत की समीक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय किया गया. वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री को रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने स्थिति की जानकारी दी। जेटली ने कहा कि इस निर्णय का मकसद चालू खाते के घाटे (कैड) पर अंकुश लगाना तथा विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सरकार ने निर्यात को प्रोत्साहित करने तथा गैर-जरूरी आयात पर अंकुश लगाने का भी फैसला किया है. हालांकि, जेटली ने यह नहीं बताया कि किन चीजों के आयात पर पाबंदी लगायी जाएगी. उन्होंने कहा, 'बढ़ते कैड के मामले के समाधान के लिये सरकार जरूरी कदम उठाएगी. इसके तहत गैर-जरूरी आयात में कटौती तथा निर्यात बढ़ाने के उपाय किये जाएंगे. जिन जिंसों के आयात पर अंकुश लगाया जाएगा, उसके बारे में निर्णय संबंधित मंत्रालयों से विचार-विमर्श के बाद किया जाएगा. वह डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के नियमों के अनुरूप होगा.' अर्थव्यवस्था पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई समीक्षा बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर काफी ज्यादा है और दूसरे देशों की तुलना में भारत में महंगाई काबू में है. तेल कीमतों में बढ़ोतरी और डॉलर के प्रति रुपये की कमजोरी पर अरुण जेटली ने कहा, 'अमेरिका में कुछ नीतिगत फैसले लिए गए हैं, जिसके चलते डॉलर मजबूत हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ी हैं. इन सबका प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है.' इस बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर और वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी भी मौजूद रहे. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 12 सितंबर को रिकार्ड 72.91 तक नीचे गिर गया था. यह आज 71.84 पर बंद हुआ. घरेलू मुद्रा अगस्त से लेकर अब तक करीब 6 प्रतिशत टूटा है. पेट्रोल और डीजल के दाम भी रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गये हैं. वित्त मंत्रालय के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने शुक्रवार को कहा कि रिजर्व बैंक को रुपये की गिरावट थामने के लिए ब्याज दर बढ़ाने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस परिस्थिति से निपटने के लिए उसके पास पर्याप्त उपाय बचे हुए हैं. उन्होंने रिजर्व बैंक द्वारा परिस्थिति पर सतत नजर रखने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 400 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ मजबूत स्थिति में है. सान्याल ने यहां कहा, 'हमारे पास अभी काफी विदेशी मुद्रा भंडार है. हमारे पास करीब 400 अरब डॉलर हैं. वृहद आर्थिक मोर्चे पर मुद्रास्फीति तथा अन्य दिक्कतें नहीं हैं. हम ऐसी स्थिति में हैं कि रुपये को गिरने दिया जा सकता है.' उन्होंने कहा कि कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने व्यापार युद्ध के मद्देनजर अपनी मुद्रा को गिरने दिया है. सान्याल ने कहा, 'सवाल उठता है कि इसे रोकने के लिए हमें तुरंत ब्याज दर बढ़ा देना चाहिए. मेरा मानना है कि यह इस समय अनावश्यक होगा.' मेरे हिसाब से यह अनावश्यक है क्योंकि ब्याज दर की जहां तक बात है, मौद्रिक नीति समिति की पहली चिंता मुद्रास्फीति है और वह फिलहाल बेहतर स्थिति में है।