दिल्ली (ईन्यूज एमपी)-राजधानी दिल्ली में राजघाट पर स्थित राष्ट्रपति महात्मा गांधी के समाधि स्थल को 24-25 जून के लिए बंद किया गया था. इस पर गांधी शांति प्रतिष्ठान, गांधी स्मारक निधि समेत कई गांधीवादियों ने आपत्ति दर्ज कराई है. गांधीवादियों ने इस घटना के खिलाफ शुक्रवार को देशभर में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. गांधी शांति प्रतिष्ठान और गांधी स्मारक निधि की तरफ से मंगलवार को संयुक्त रूप से जारी बयान में कहा गया है, "रविवार 24 जून को कागज पर लिखी और राजघाट के प्रवेश-द्वारों पर चिपका दी गई एक सूचना से 24 और 25 जून को राजघाट उन सबके लिए बंद घोषित कर दिया गया, जो बापू की स्मृति में सर झुकाने वहां आते हैं. यह फैसला किसने किया, क्यों किया और जो आज तक कभी नहीं हुआ था, वैसा फैसला करने पीछे कारण क्या रहा, इसकी कोई जानकारी नागिरकों को दी नहीं गई." बयान में कहा गया है, "न राजघाट प्रशासन ने, नई दिल्ली सरकार ने और न केंद्र सरकार ने इस बारे में कोई स्पष्टीकरण आज तक दिया है. दरअसल, 24-25 जून को राजघाट के ठीक सामने स्थित गांधी स्मृति व दर्शन समिति परिसर में विश्व हिंदू परिषद की बैठक चल रही थी, जिस कारण राजघाट पर ताला जड़ दिया गया. बयान में कहा गया है कि हमें पता नहीं है कि गांधी स्मृति व दर्शन समिति को किसी निजी संस्था की बैठकों के लिए किस आधार पर दिया गया. और वह भी विश्व हिंदू परिषद जैसी संस्था को, जिसका कभी दूर-दूर से भी महात्मा गांधी के आदर्शो-विचारों से नाता नहीं रहा है." गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत और गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही के हस्ताक्षर से जारी बयान में कहा गया है, "विश्व हिंदू परिषद या दूसरी किसी भी संस्था को यह हक है कि वे अपनी विचार-बैठकें अपनी सुविधा की जगहों पर करें, लेकिन यह हक किसी को भी नहीं है कि वह किसी सार्वजनिक जगह का मनमाना इस्तेमाल करे. उन्होंने कहा कि बापू-समाधि जैसी पवित्र जगह तो किसी ऐसे सावर्जिनक स्थल की श्रेणी में भी नहीं आती है, जिसका सरकार या सरकार की आड़ में चलने वाली कोई संस्था अपने हित के लिए मनमाना इस्तेमाल करे, जब चाहे, उसे ताला मार दे."