नई दिल्ली (ईन्यूज एमपी) : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश किया। यह बजट आर्थिक सुधारों, महंगाई पर नियंत्रण, और मध्यम वर्ग, किसानों तथा व्यापारियों को राहत देने की दिशा में कई महत्वपूर्ण घोषणाओं से भरपूर है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनका समाधान जरूरी होगा। मध्यम वर्ग को मिली राहत – आयकर में बड़ा बदलाव सरकार ने आम जनता को राहत देने के लिए आयकर की दरों में बदलाव किया है। अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय कर मुक्त कर दी गई है। इससे पहले यह सीमा 7 लाख रुपये थी। नई कर स्लैब के अनुसार: 12 लाख रुपये तक की आय – कोई कर नहीं 12 से 16 लाख रुपये की आय – 10% कर 16 लाख रुपये से अधिक की आय – 20% कर यह बदलाव वेतनभोगी वर्ग और छोटे व्यापारियों के लिए राहतभरा साबित हो सकता है। सरकार का मानना है कि इससे लोगों की बचत और उपभोग क्षमता बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। कृषि क्षेत्र के लिए नई योजनाएं किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय उच्च उपज बीज मिशन की शुरुआत की है। इसके तहत किसानों को उन्नत बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इसके अलावा, किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना के तहत ऋण सुविधा बढ़ाई गई है। दाल उत्पादन और टिकाऊ कपास खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नए कार्यक्रमों की घोषणा की है। इससे न केवल किसानों की पैदावार बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। बुनियादी ढांचे और शहरी विकास पर जोर बजट में शहरी विकास के लिए ₹1 लाख करोड़ का अर्बन चैलेंज फंड स्थापित किया गया है, जिससे स्मार्ट सिटी और बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, राज्यों को ₹1.5 लाख करोड़ का ब्याज-मुक्त पूंजीगत ऋण दिया जाएगा, जिससे बुनियादी ढांचे के निर्माण और सड़क, परिवहन, जल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। MSME सेक्टर को नई ऊर्जा छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) की परिभाषा में बदलाव किया है, ताकि अधिक व्यवसाय इसका लाभ ले सकें। इसके तहत: सूक्ष्म उद्यमों को विशेष क्रेडिट गारंटी और कस्टमाइज्ड क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी जाएगी। 10 लाख छोटे व्यवसायों को सस्ते ऋण और वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिससे उन्हें बढ़ने का अवसर मिलेगा। राजकोषीय घाटा और वित्तीय अनुशासन सरकार ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4% तक लाने का लक्ष्य रखा है। कुल सरकारी व्यय ₹50.65 लाख करोड़ निर्धारित किया गया है, जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक योजनाओं और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी गई है। चुनौतियां और विपक्ष की प्रतिक्रिया बजट को लेकर विपक्ष ने कई सवाल उठाए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि बजट में महंगाई से राहत देने के लिए ठोस उपायों की कमी है। विदेशी निवेश में कटौती, मुद्रा के गिरते मूल्य और रोजगार के अवसरों की अनिश्चितता पर भी सवाल उठाए गए हैं। वहीं, सरकार का मानना है कि यह बजट मध्यम वर्ग, किसानों और व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, और इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। क्या यह बजट उम्मीदों पर खरा उतरेगा? बजट 2025-26 में कई बड़े सुधारों की घोषणा की गई है, जो अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि ये योजनाएं जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी साबित होती हैं। अगले कुछ महीनों में सरकार की इन नीतियों का प्रभाव दिखने लगेगा। अब यह देखना होगा कि क्या यह बजट आम जनता को महंगाई से राहत दिला पाएगा या फिर यह सिर्फ एक उम्मीद बनकर रह जाएगा।