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लोकायुक्त छापे के बाद आबकारी विभाग ने बदला सिस्टम, 

उमरिया(ईन्यूज एमपी)--- उमरिया में पिछले साल शराब दुकान से अवैध पैकारी के लिए राशि लेने हुए जिला आबकारी अधिकारी रिनी गुप्ता को लोकायुक्त रीवा की टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद यह बात सामने आई थी कि जिले की हर दुकान से तीस हजार रुपये महीना जिला आबकारी अधिकारी को मिल रहा था, जिसकी वजह से किसी भी तरह की कोई बड़ी कार्रवाई ठेकेदारों के उन ठिकानों पर नहीं की जा रही थी।शराब की अवैध बिक्री कराई जाती थी। यह राशि अभी भी दुकानों से निकाली जा रही है पर अब इसके अधिकारियों तक पहुंचने का तरीका बदल गया है। अब रकम का लेनदेन सीधे और कार्यालय में नहीं होता है, बल्कि इसके लिए हर बार नए तरीकों का उपयोग किया जा रहा है।पिछले साल उमरिया जिले में शराब दुकानदार से तीस हजार रूपये के हिसाब से चार महीने की वसूली के रूप में एक लाख बीस हजार रूपये की रिश्वत लेते जिला आबकारी अधिकारी रीनी गुप्ता को लोकायुक्त रीवा की टीम द्वारा पकड़ा गया था। इस घटनाक्रम के बाद यह साफ हो गया था कि आखिर जिले के शराब ठेकेदारों को पैकारी कराने के लिए अभयदान क्यों मिला हुआ था। उमरिया जिले में कुल नौ समूहों में 25 दुकानें हैं जिनसे साढ़े सात लाख रुपये महीने की आय आबकारी विभाग को हो रही थी। नौरोजाबाद क्षेत्र में तो शराब की अवैधअभी भी शराब दुकानों के संचालकों द्वार जिले में शराब की अवैध बिक्री कराई जा रही है लेकिन विभाग द्वारा किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। शराब दुकानों के संचालकों द्वारा अलग-अलग ठिकानों पर शराब की पैकारी करवाने पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती इस सवाल का जवाब हर किसी के पास है। इतना ही नहीं आपराधिक मामलों को भी पूरी तरह से दबा दिया जाता है। जिन क्षेत्रों में दुकानों का संचालन हो रहा है वहां साफतौर से ठेकेदार और विभाग के कर्मचारियों की जुगलबंदी देखी जा सकती है।पिछले साल हुई ट्रैप कार्रवाई के बाद शिकायतकर्ता निपेन्द्र सिंह ने मीडिया के सामने कहा था कि उनसे पैसा मांगने के लिए इस बात का दबाव डाला जा रहा था कि पैसा ऊपर तक भेजा जाता है। पैसा नहीं दिने पर बर्बाद कर देने की धमकी भी दी जा रही थी। इस मामले में एडीएम तक का नाम लिया गया है और भोपाल तक की बात की गई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शराब दुकानों कितनी मोटी कमाई हो रही है।

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