उमरिया(ईन्यूज एमपी)- महुआ का सीजन शुरू होते ही संग्रहण करने वाले आदिवासियों के जीवन की सुरक्षा का चिंतन भी होने लगा है। दरअसल जंगल में महुआ संग्रहण करने वालों को जंगली जानवरों के खतरे का सामना भी करना पड़ता है। हर साल ऐसी घटनाओं के चलते अकेले बांधवगढ़ में ही बड़ी संख्या में लोग घायल होते हैं।कई बार तो लोगों की जान भी जंगली जानवरों के हमले में चली जाती है। यह सब इसलिए होता है क्योंकि महुआ संग्रहण करने वाले लोग सावधानी नहीं बरतते और बिना सतर्कता के ही बहुत सुबह महुआ बीनने निकल जाते हैं। पिछले साल इसी तरह की घटनाओं में एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।महुआ संग्रहण करने के लिए आदिवासी भोर के पहले, मध्य रात्रि के बाद ही जंगल में निकल जाते हैं। जंगल में घना अंधेरा छाया रहता है। ऐसे में झाड़ियों में छिपकर बैठे जंगली जानवर नजर नहीं आते और ग्रामीण उनका शिकार हो जाते हैं। ऐसे में बाघों के हमले की घटनाएं बढ़ जाती हैं। बाघों के अलावा भालू, हाथी और दूसरे जानवर भी इस सीजन में हमलावर रहते हैं। घटना होने के बाद ग्रामीण सारी जिम्मेदारी वन विभाग पर डाल देते हैं।