रीवा (ईन्यूज एमपी)-विंध्य क्षेत्र की राजनीति में 24 घंटे के भीतर बड़ा उलटफेर हुआ। बीएसपी की पहली लिस्ट में रीवा की सिरमौर सीट से रिटायर्ड डीएसपी विष्णुदेव (VD) पांडे को उम्मीदवार घोषित किया। वीडी पांडे सेमरिया से पूर्व विधायक अभय मिश्रा के समधी हैं। वीडी के बसपा से उम्मीदवार घोषित होने के 24 घंटे बाद ही अभय मिश्रा ने कांग्रेस छोड़कर पत्नी नीलम मिश्रा के साथ बीजेपी में घर वापसी कर ली। भोपाल शुक्रवार शाम गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के साथ अभय मिश्रा पत्नी नीलम मिश्रा अपने समर्थकों के साथ प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के समक्ष फिर से सदस्यता ग्रहण की। खास बात यह है कि अभय मिश्रा को दो दिन पहले ही कांग्रेस पार्टी की ओर से सेमरिया सीट का प्रत्याशी बनाने का इशारा मिला था। इसका खुलासा खुद अभय मिश्रा ने किया है। तीन दिन पहले ही अभय मिश्रा ने पीसीसी चीफ कमलनाथ से मुलाकात कर उन्हें एक शिकायती पत्र दिया। इस लेटर में मिश्रा ने जिला कांग्रेस के प्रमुख नेताओं और संगठन के जिम्मेदारों की शिकायत की।अभय मिश्रा ने 8 अगस्त को पीसीसी चीफ से मुलाकात की। उनकी एक फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें वे कमलनाथ के बंगले पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल के साथ खडे़ दिख रहे हैं। हालांकि अजय सिंह के करीबियों का कहना है कि अभय मिश्रा अकेले कमलनाथ से मिले थे। उस वक्त राहुल भैया साथ नहीं थे। मुलाकात के बाद अभय मिश्रा से उनकी भेंट हुई और उसी दौरान की तस्वीर किसी ने सोशल मीडिया पर शेयर की है। अभय मिश्रा रीवा जिले की सेमरिया सीट से 2008 में बीजेपी से विधायक बने थे। वहीं 2013 में उनकी पत्नी नीलम मिश्रा भी बीजेपी के टिकट पर सेमरिया से ही विधायक बनीं। लेकिन साल 2018 में मिश्रा दंपति ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस जॉइन कर ली थी। अब एक बार फिर पूर्व विधायक मिश्रा दंपति ने घर वापसी की है। प्रदेश भाजपा कार्यालय में पूर्व विधायक और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा, उनकी पत्नि पूर्व विधायक नीलम मिश्रा के साथ कांग्रेस की समर्थक जिला पंचायत सदस्य सुंदरिया आदिवासी, जनपद उपाध्यक्ष मिश्रीलाल तिवारी, भोले तिवारी, जनपद सदस्य राजेन्द्र सिंह ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। बीजेपी में शामिल होने के बाद अभय मिश्रा ने कहा- अब मैं 2008 से 2013 तक बीजेपी का विधायक रहा। उसके पहले जनपद अध्यक्ष रहा। फिर मेरी पत्नी नीलम मिश्रा को बीजेपी ने टिकट दिया और वह 2013 से 2018 तक विधायक रहीं। इसके बाद 2015 से लेकर 2022 तक मैं स्वयं रीवा का जिला पंचायत अध्यक्ष रहा हूं। अभय मिश्रा बोले- मैं भूलवश, हड़बड़ाहट और नासमझी में 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी में चला गया। और अपनी परंपरागत सीट सेमरिया छोड़कर रीवा से चुनाव लड़ा और वहां कभी कांग्रेस को 12000 से ज्यादा वोट नहीं मिले मुझे 52000 वोट मिले मैं राजेन्द्र शुक्ला से चुनाव हार गया। मैं जब हारा उसके बाद मैंने देखा कि पूरी कांग्रेस पार्टी में भितरघात एक कल्चर बन गया है। अभी भी मैं यह देख रहा हूं किनका मूल उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना है। जनता से कोई मतलब नहीं। पहले पार्टी के अंदर सभी को हराओ, उनसे जीतो तब बाहर वाले से लड़ो। मुझे जो भी मिला, आज तक मैं जो भी हूं। वह भारतीय जनता पार्टी की दी हुई है। मैं इसलिए बीजेपी में नहीं आया हूं कि मैंने पार्टी से कोई टिकट का आश्वासन लिया है।