भोपाल (ईन्यूज एमपी)-शिवराज कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। कैबिनेट ने बारिश-ओले से प्रभावित होने वाली फसल के मुआवजे की रकम बढ़ाने का फैसला लिया। इसके अलावा बिजली विभाग में आउटसोर्स लाइनमैन को वेतन के अलावा हर महीने 1000 रुपए जोखिम भत्ता देने का निर्णय भी लिया। सरकार ने ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के 1000 बिस्तर के अस्पताल में 972 नए पदों को भी मंजूरी दे दी है। उधर इंदौर में देवी अहिल्याबाई होलकर का स्मारक बनाने के लिए सरकार 1.215 हेक्टेयर जमीन देगी। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा- राजस्व विभाग के अंतर्गत आरबीसी 6/4 में संशोधन किया है। जिसके बाद मध्यप्रदेश अब देश में सबसे ज्यादा फसल मुआवजा देने वाला राज्य बन गया है। बढ़ा मुआवजा 1 मार्च 2023 के बाद से खराब होने वाली फसलों के लिए दिया जाएगा। आज हुई कैबिनेट बैठक में मंत्रियों को स्वल्पाहार में पूर्व में प्रचलित खाद्य सामग्री के स्थान पर श्री अन्न (मोटे अनाज या मिलेट्स) से बने व्यंजन परोसे गए। इनमें बिस्किट, सैंडविच, कटलेट, बाजरा, खिचड़ा, पापड़, खीर शामिल थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि साल 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा इंटरनेशनल मिलेट ईयर घोषित किया गया है। 0 से 2 हेक्टेयर तक के किसानों को इतने नुकसान पर इतना मुआवजा... 25% से 33% फसल के नुकसान पर वर्षा आधारित फसल के लिए 5500 रु. प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिए 9500 रु. प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाएगा। बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने से कम अवधि में फसल नष्ट होने पर) 9500 रु. प्रति हेक्टेयर, बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने के बाद नुकसान होने पर) 16,000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मदद राशि दी जाएगी। सब्जी, मसाले, ईसबगोल की खेती के लिए 19,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जाएगा। 33% से 50% फसल के नुकसान पर वर्षा आधारित फसल के लिए 8500 रु. प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिए 16,500 रु. प्रति हेक्टेयर। बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने से कम अवधि में फसल नष्ट होने पर) 19,000 रु. प्रति हेक्टेयर, बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने के बाद फसल को नुकसान होने पर) 21,000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। सब्जी, मसाले, ईसबगोल की खेती के लिए 27000 रु. प्रति हेक्टेयर, सेरीकल्चर (ऐरी, शहतूत और टसर) के लिए 6,500 रु. प्रति हेक्टेयर, मूंगा के लिए 8,000 रु. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। 50% से अधिक फसल के नुकसान पर वर्षा आधारित फसल के लिए 17,000 रु. प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिए 32,000 रु. प्रति हेक्टेयर। बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने से कम अवधि में फसल नष्ट होने पर) 32,000 रु. प्रति हेक्टेयर, बारहमासी (बुवाई, रोपाई से 6 महीने के बाद फसल नष्ट होने पर) 32,000 रुपए प्रति हेक्टेयर, सब्जी, मसाले, ईसबगोल की खेती के लिए 32,000 रुपए प्रति हेक्टेयर, सेरीकल्चर (ऐरी, शहतूत और टसर) फसल के लिए 13,000 रुपए प्रति हेक्टेयर और मूंगा के लिए 16,000 रु. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। नगरीय क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर रह रहे लोगों को धारणाधिकार पट्टे देने के लिए मुख्यमंत्री ने कुछ वक्त पहले घोषणा कर दी थी। इसे आज मंजूरी मिली। खासकर सिंधी समाज के लोग जो बाहर से आए हैं, उन्हें पट्टे दिए जाएंगे। पट्टे के लिए पात्रता अवधि (अधिभोग की तिथि में वृद्धि कर) 31 दिसंबर 2014 से बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2020 की गई है। 31 जुलाई, 2023 तक सक्षम प्राधिकारी को आवेदन करना होगा। जमीन के 30 साल के लिए स्थायी पट्टे जारी किए जाएंगे। कैबिनेट में ये फैसले भी हुए... मध्यप्रदेश में 45 नए दीनदयाल रसोई केंद्र बढ़ेंगे। कलेवर नया होगा। 100 रसोई पहले से चल रही हैं। सतना मेडिकल कॉलेज के पहले चरण के निर्माण के लिए 302 करोड़ की जगह 328.79 करोड़ रु. की स्वीकृति। पन्ना जिले की रुंझ मध्यम सिंचाई परियोजना को रिवाइज्ड स्वीकृति दी गई। इसकी लागत 513.72 करोड़ रुपए थी। रुंझ की सिंचाई का क्षेत्र 14,450 हेक्टेयर है। इससे अजयगढ़ तहसील के 47 गांवों में 14,450 हेक्टेयर में सिंचाई होगी। पन्ना जिले की मझगांय मध्यम सिंचाई परियोजना को भी रिवाइज्ड प्रशासकीय स्वीकृति मिली। इसकी लागत 693.64 लाख रु. है। मझगांय की सिंचाई का रकबा 13060 हे. है। इससे पन्ना जिले के अजयगढ़ तहसील के 38 गांव में 13060 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी। सीएम राइज स्कूल योजना के अंतर्गत 70 सर्व सुविधा संपन्न विद्यालय के लिए अनुमानित लागत 2843 करोड़ रु. की स्वीकृति दी गई। राजस्व न्यायालयों के कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट के लिए 2028 तक 7348.65 करोड़ रुपए खर्च करने की स्वीकृति दी गई। इंदौर के नंदानगर में कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय संकाय शुरू किए जाएंगे। यहां 47 नए पद स्वीकृत किए गए। इनमें 22 शैक्षणिक पद हैं।