भोपाल (ईन्यूज एमपी)-मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर है। आगामी चुनाव से पहले मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भ्रष्ट अफसरों पर बड़ा एक्शन लेने जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार मध्य प्रदेश में सस्पेंड कर्मचारी अधिकारियों के निर्वाह भत्ता का नए सिरे से निर्धारण करने जा रही है।इसके तहत निलंबन के तीन माह बाद 75 प्रतिशत वेतन के नियम को खत्म किया जाएगा, इसके लिए निर्वाह भत्ता में संशोधन होगा। दरअसल, सीएम शिवराज सिंह चौहान के कार्यालय के निर्देश पर निलंबित कर्मचारियों को 3 महीने बाद 75% निर्वाह भत्ता के नियम को समाप्त किया जा रहा है।खबर है कि इसको लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी है और ड्राफ्ट तैयार कर लिया है,जिसे जल्द ही कैबिनेट में रखा जाएगा। इसके बाद नियमों में संशोधन किया जाएगा और निलंबित कर्मचारी एवं अधिकारी को निर्वाह भत्ता का नए सिरे से निर्धारण किया जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने संशोधन के लिए अन्य प्रदेशों के प्रावधानों पर भी सरकार विचार मंथन कर रही है।वही न्यायालय के आदेशों पर मंथन किया जा रहा है।इसके तहत राज्य सरकार निलंबन की तीन माह की अवधि के बाद वेतन का 75 प्रतिशत राशि का प्रावधान भी खत्म करने की तैयारी में है। वही रिश्वत में रंगे हाथ पकड़ाए कर्मचारी-अधिकारी, आय से अधिक संपत्ति के मामले समेत भ्रष्टाचार के विचाराधीन प्रकरणों के लिए अलग से संशोधित ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इसे कैबिनेट में लाकर मंजूरी दी जाएगी। क्या है वर्तमान में नियम अब तक मध्य प्रदेश में यदि किसी शासकीय कर्मचारी अथवा अधिकारी को किसी भी कारण से सस्पेंड किया जाता है तो पहले 3 महीने तक उसे उसके वेतन का 50% निर्वाह भत्ता दिया जाता है और उसके बाद 75% निर्वाह भत्ता दिया जाता है। इसका कारण यह है कि किसी भी कर्मचारी को सस्पेंड करने के 3 महीने के भीतर आरोप पत्र देने के बाद विभागीय जांच की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता तो शासन की लापरवाही का खामियाजा निलंबित कर्मचारी को नहीं दिया जा सकता इसलिए उसे 3 महीने बाद 75% निर्वाह भत्ता दिया जाता है और यदि निर्धारित अवधि में निलंबित कर्मचारी को आरोप पत्र नहीं दिया जा सका तो उसका निलंबन समाप्त करने के नियम है। अब इन नियमों को संशोधित किया जा रहा है। दरअसल, बीते महीने तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी कर्मचारियों का निर्वाह भत्ता बंद करने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित मुख्य सचिव पत्र लिखा था। इस पत्र में कहा गया था कि प्रदेश में ऐसे अधिकारी,कर्मचारी जिन पर भ्रष्टाचार के मामले दर्ज है उन पर कार्रवाई तो की जाए साथ ही उन्हे दिए जाने वाले आधे वेतन भत्ते बंद किए जाए, ताकि ऐसे अधिकारी कर्मचारियों को निराकरण ना होने तक जीवन निर्वाह भत्ता रोकने पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और शासन में शुचिता आएगी। चुंकी भ्रष्टाचार में लिप्त शासकीय सेवकों पर EOW, लोकायुक्त द्वारा मामला दर्ज कर कार्यवाही होने पर करोड़ों रुपए की संपत्ति मिलती है, जिसके पश्चात उन्हें निलंबित कर दिया जाता है। निलंबन के पश्चात जीवन निर्वाह भत्ता 3 महीने तक वेतन का 50% एवं 3 महीने बाद 75% करने का प्रावधान है ।इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से सामान्य प्रशासन विभाग को इस संबंध में कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किया था।