सतना (ईन्यूज एमपी)-सतना वन मंडल के बिरसिंहपुर क्षेत्र में वन भूमि पर अवैध खनन और खनिज चोरी के मामले में डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड पर गाज गिरी है। वन मंडलाधिकारी ने दोनों को निलंबित कर दिया है। इनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू किए जाने के संकेत मिले हैं। हासिल जानकारी के मुताबिक मझगवां रेंज की बिरसिंहपुर सर्किल अंतर्गत अमुआ बीट के महापार जंगल में वन भूमि से अवैध खनन कर बॉक्साइट चोरी करने के मामले में डिप्टी रेंजर रमाशंकर त्रिपाठी और बीट गार्ड प्रमोद कुमार गर्ग को निलंबित कर दिया गया है। वन भूमि पर अवैध उत्खनन और बॉक्साइट की चोरी के इस सनसनीखेज मामले में डिप्टी रेंजर रमाशंकर त्रिपाठी की प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष संलिप्तता पाई जाने पर वन मंडलाधिकारी सतना विपिन पटेल ने यह कार्रवाई की। साथ ही डिप्टी रेंजर पर रेंजर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के प्रति अशिष्ट भाषा का प्रयोग करने तथा अनुशासनहीनता के भी गंभीर आरोप हैं। वन मंडलाधिकारी सतना विपिन पटेल ने बताया कि अमुआ बीट के कक्ष क्रमांक आरएफ 887 बढई की भठिया में गत 29 और 30 जनवरी की रात अवैध उत्खनन और बॉक्साइट चोरी का मामला सामने आया था। यहां से चुराया गया बॉक्साइट हाइवा नंबर MP 19 HA 3478 तथा MP 35 HA 0309 के जरिए परिवहन कर राजू उर्फ प्रकाश सिंह पिता नरेंद्र पटेल निवासी कारीगोही के अधिपत्य की राजस्व भूमि पर अवैध रूप से भंडारित किया गया था। इस मामले में दोनो हाइवा जब्त कर उनके चालक अनिल कुशवाहा एवं शिवेंद्र साकेत को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन राजू उर्फ प्रकाश सिंह फरार है और इस काम मे इस्तेमाल की गई जेसीबी भी अभी तक नही पकड़ी गई है। दोनो हाइवा राजसात करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। बताया जाता है कि खनिज चोरी के इस मामले में डिप्टी रेंजर रमाशंकर त्रिपाठी की भूमिका पर शुरुआती दौर से ही सवाल उठने लगे थे।न केवल क्षेत्र बल्कि विभागीय गलियारों में भी चर्चा है कि यह सब कुछ डिप्टी रेंजर त्रिपाठी की शह पर ही हुआ लेकिन जब गर्दन फंसने लगी तो दिखावे के लिए खाली हाइवा पकड़ने और कार्रवाई का दिखावा उन्होंने शुरू कर दिया। बताया जाता है कि जिस वक्त चोरी का खनिज प्रकाश सिंह के बगीचे और राकेश एजेंसीज के भंडारण में अनलोड करवा कर सुनियोजित ढंग से खाली हाइवा जब्त किए गए उस वक्त अवैध उत्खनन में इस्तेमाल की गई जेसीबी भी राकेश एजेंसीज के उडली भंडारण में खड़ी थी। लेकिन तब उस मशीन को जब्त नही किया गया और बाद में उसे लापता बता दिया गया। जबकि उस वक्त वहां वन अमला मौजूद भी था। डिप्टी रेंजर ने मामले में लीपापोती की भी कोशिश करते हुए बीट गार्डों के तबादले करने की कोशिश की। इतना ही नही जब विभागीय अफसरों ने सवाल जवाब किए तो उनसे भी अभद्रता की। जिसके बाद डिप्टी रेंजर को न केवल जांच से अलग कर उनसे फाइल ले ली गई बल्कि निलंबित भी कर दिया गया।