भोपाल(ईन्यूज एमपी)- राज्य सरकार अगले तीन साल (2023 से 2025) के लिए रेत नीति लाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए प्रदेश के 41 जिलों में रेत के भंडार का आकलन किया जाएगा। यह काम सभी कलेक्टर जून 2023 तक पूरा करेंगे। वर्तमान में 20 जिलों की रेत खदानों से उत्खनन किया जा रहा है। जबकि अन्य 21 जिलों में रेत खदान समूहों को नीलाम, अनुबंधित और पर्यावरण की अनुमति लेने की प्रक्रिया चल रही है। रेत की आपूर्ति व्यवस्थित रूप से बनाए रखने के लिए इन जिलों में सिर्फ जून 2023 तक के लिए ठेके दिए जाएंगे। राज्य सरकार एक बार फिर मध्य प्रदेश खनिज निगम को रेत खदानों की जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी कर रही है। अभी तक आधे से ज्यादा जिलों में कलेक्टर खदानों की नीलामी और संचालन की व्यवस्था देख रहे हैं। नई रेत नीति में नीलामी की केंद्रीकृत व्यवस्था रखी जा सकती है, जो निगम की देखरेख में होगी। क्योंकि केंद्रीकृत व्यवस्था में अच्छी बोली लगने की उम्मीद रहती है। कमल नाथ सरकार में इसका नमूना देखने को मिला है। नर्मदापुरम की खदानें सौ या सवा सौ करोड़ रुपये में नीलाम होती थीं, उन्हीं को 262 करोड़ रुपये में नीलाम किया गया था। हालांकि जिन खदानों को तीन से चार बार में भी ठेकेदार नहीं लेंगे, उन्हें फिर जिला स्तर पर ही नीलाम किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में राजगढ़, सीधी, हरदा, बालाघाट, मंडला, सिंगरौली, अनूपपुर, सीहोर, श्ाहडोल, भिंड, कटनी, उमरिया, विदिशा, श्योपुर, देवास, धार, छतरपुर, जबलपुर सहित दो अन्य जिलों से रेत निकाली जा रही है। नर्मदापुरम की खदान शुरू करने की कोशिश भोपाल और आसपास के जिलों को गुणवत्ता की रेत उपलब्ध कराने वाली नर्मदापुरम जिले की खदानों से उत्खनन शुरू करने की कोशिश चल रही है। खनिज विभाग के निवेदन पर हाईकोर्ट जबलपुर ने नर्मदापुरम की खदान समूह के ठेकेदार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। उम्मीद की जा रही है कि जनवरी 2023 में यह खदान विभाग को मिल जाएगी। ज्ञात हो कि ठेकेदार काम भी नहीं कर रहा है और खदान छोड़ भी नहीं रहा है। नौ जिलों को पर्यावरण स्वीकृति का इंतजार पन्ना, सिवनी, दतिया, ग्वालियर, नरसिंहपुर, डिंडोरी, बैतूल, बुरहानपुर और आगर-मालवा जिले की कुछ खदानों से उत्खनन शुरू करने के लिए ठेकेदारों को पर्यावरण विभाग की स्वीकृति का इंतजार है। इसकी प्रक्रिया चल रही है।