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आधार कार्ड फर्जीवाड़ा:6 महीने में एक सेंटर से बने 2100 ‘फर्जी आधार’; जिला प्रशासन ने आईडी ब्लॉक कर जांच की तो


(ईन्यूज एमपी)-नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़ा के बाद, अब शहर में एक और बड़ा आधार कार्ड फर्जीवाड़ा सामने आया है। कुछ दिन पहले जिला प्रशासन ने दो आधार केंद्रों की आईडी ब्लॉक कर दी थी। जांच में पता चला है कि केवल एक आधार सेंटर ने पिछले करीब 6 महीने में ही 2100 से ज्यादा आधार कार्ड ऐसे बना दिए हैं, जिनकी वैधता संदेह के घेरे में है। ये आधार कार्ड जाली दस्तावेजों के साथ-साथ वेरिफायर (सत्यापनकर्ता) के फर्जी दस्तखत से बनाए गए हैं।

यह आधार सेंटर राजधानी के वार्ड 39 ऐशबाग इलाके में संचालित था। जांच में पता चला कि आधार संचालक बंटी शिवहरे जिस वार्ड प्रभारी के वेरिफायर का फर्जी दस्तखत करके आधार कार्ड बना रहा था, उनका ट्रांसफर मार्च में हो गया था और वो दूसरे वार्ड में ज्वाइन भी कर चुके थे।

हालांकि शिकायत का पता लगते ही शिवहरे ने रातों-रात आधार सेंटर बंद कर दिया। सूत्रों ने बताया कि शिवहरे ने हाल ही में जिला प्रशासन के अधिकारियों के समक्ष अपना पक्ष रखा है। उसने लिखित में माफीनामा दिया है और माना कि उससे गलती हो गई है।

ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा

चूंकि वेरिफायर का दस्तखत खुद सेंटर संचालक करते हैं, इसलिए ये खुलकर फर्जीवाड़ा करते हंै। अगर किसी आवेदक के पास आधार कार्ड बनवाने के लिए सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट नहीं होता तो संचालक फोटोशॉप के माध्यम से फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं और उसे अपलोड करके वेरिफाई कर देते हैं। सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर संचालक स्थानीय पते के कागजात में भी फर्जीवाड़ा करते हैं।

एक गड़बड़ी यह भी

जिला प्रशासन की ई-गवर्नेंस शाखा ने एक और ऐसे ही आधार सेंटर को पकड़ा है। इसकी परमिशन वार्ड-85 में रापड़िया की थी, लेकिन यह रायसेन जिले के मंडीदीप से संचालित हो रहा था। इस सेंटर ने पिछले डेढ़ साल में करीब 7000 आधार कार्ड बनाए हैं। इन दोनों मामलों की जांच अभी जिला प्रशासन के अधिकारी खुद कर रहे हैं, पुलिस को नहीं सौपा है।

शहर में 250 आधार सेंटर, 54 केंद्र स्टेट रजिस्ट्रार के

भोपाल में 250 आधार सेंटर हैं। इनमें से 54 स्टेट रजिस्ट्रार यानी मप्र इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के हैं, जिनका संचालन जिला प्रशासन करवाता है। सूत्रों का कहना है कि कई आधार सेंटरों में अनियमितताओं की शिकायत जिला प्रशासन को मिलती हैं, इनमें से कई के खिलाफ जांच अभी पेंडिंग है।

सेंटर पर फिजिकली मौजूद नहीं रहते हैं वेरिफायर

नियम के मुताबिक स्टेट रजिस्ट्रार के तहत संचालित आधार सेंटर का कोई भी सेवारत या सेवानिवृत ग्रेड-3 कर्मचारी या इससे ऊपर रैंक का अधिकारी वेरिफायर हो सकता है। वेरिफायर आधार कार्ड के लिए आवेदक द्वारा दिए गए दस्तावेज का सत्यापन करता है, पर ज्यादातर वेरिफायर सेंटर पर मौजूद नहीं होते हैं।

समिति का गठन...

मप्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने आधार निगरानी समिति के पुनर्गठन के लिए आदेश जारी किया है। समिति जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में 12 लोगों की होगी। इसका काम आधार कार्ड धोखाधड़ी सहित आधार सेंटर्स पर निगरानी रखना होगा।

आधार से संबंधित सभी शिकायतों में जांच चल रही है। इन दोनों मामलों में अभी जांच जारी है। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

-निशा बांगरे, डिप्टी कलेक्टर और ई-गवर्नेंस प्रभारी

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