सीधी (ईन्यूज एमपी)- सीधी जिले से चलकर एक गरीब का केस जब हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां से ना सिर्फ उसे राहत मिली बल्कि पीडब्ल्यूडी के ई की लचर प्रणाली के कारण किसी और को कड़े शब्दों में हिदायत भी मिली और कोर्ट ने यह साबित कर दिया कि न्याय निष्पक्ष होता है और वह सबके लिये समानता केवल सत्य पर आधारित होता है। जी हां हाई कोर्ट ने सीधी जिले के पीडब्ल्यूडी के कार्यपालनयंत्री कि गाड़ी को नीलाम कर उस राशि से याचिकाकर्ता दैनिक वेतन भोगी के एरियर भुगतान करने का आदेश कलेक्टर सीधी को दिया गया है । हाल ही में जो मामला प्रकाश में आया है उसमें लोक निर्माण विभाग के एक दैनिक वेतन भोगी द्वारा अपने एरियर के भुगतान को लेकर तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह के नामजद हाईकोर्ट जबलपुर के समक्ष अपील दायर की थी । जिसमें हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कलेक्टर को तलब कर पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री डी.के. सिंह को फटकार लगाते हुए कलेक्टर को निर्देशित किया गया है कि पीडब्ल्यूडी ई की गाड़ी को दो लाख में नीलाम कर याचिकाकर्ता के एरियर राशि का भुगतान एक सप्ताह के भीतर किया जाए अन्यथा यह राशि ..... से वसूल की जाएगी । प्राप्त खबर के अनुसार पीडब्ल्यूडी के एक कर्मचारी का करीब 8 लाख से अधिक का एरियर भुगतान लंबित था लेकिन निर्धारित समय पर तथाकथित दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी को करीब छः लाख का भुगतान कर दिया गया जबकि दो लाख के आसपास की राशि शेष बची हुई थी जिसे लेकर कर्मचारी द्वारा लेबरकोर्ट की शरण ली गई और मामला उसके अनकूल रहा किंतु पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री की लापरवाही के कारण कर्मचारी को न्याय हांसिल नही हो सका । तब हाई कोर्ट जबलपुर का दरवाजा खटखटाया और वंहा कलेक्टर को तलब करते हुए संपूर्ण जानकारी मांगी गई और तीखे स्वरों में पीडब्ल्यूडी की लापरवाही के कारण किसी और को सामना करना पडा़ है । इस पूरे मामले में कलेक्टर को निर्देशित किया गया है कि पीडब्ल्यूडी के वाहन को राजसात कर बकाया राशि का भुगतान कर्मचारी को किया जाए अन्यथा कलेक्टर इस राशि के भुगतान के लिए जिम्मेदार होंगे लंबे समय से चली कानूनी उठापटक के बाद एक ओर जहां याचिकाकर्ता के चेहरे पर संतुष्टि और सफलता की मुस्कान है तो वहीं दूसरी ओर पीडब्ल्यूडी में खलबली मच गई है , कलेक्टर को एक निर्धारित समय सीमा TL दिया गया है जिसके तहत माननीय कोर्ट की गरिमा व आदेशों का पालन करना है।