सीधी (ईन्यूज एमपी)- सीधी जिले में स्थित अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट बघवार में एक बार फिर कंपनी प्रबंधन और आम जनों के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है और अल्ट्राटेक कंपनी प्रबंधन के विरुद्ध आधीरात से सुबह तक ग्रामीण जन धरने पर बैठे रहे हैं। कम्पनी प्रवंधन की लापरवाही के कारण आई फजीहत के चलते ग्रामीणों के कुछ घर जंहा धराशाई हो गये वंहीं खानेपीने की सामग्री भी पानी पानी हो गई यंहा तक कि इस आपदा से मौतकी की जिंदगी जूझ रहे एक बच्चे को बंचा लिया गया है । जी हां बतादें कि अल्ट्राटेक कंपनी प्रबंधन और स्थानीय ग्रामीणों के बीच फिर तनातनी शुरू हो गई है आधी रात से कंपनी के गेट के बाहर बैठे महिलाओं एवं बुजुर्गों ने बताया कि कंपनी प्रबंधन द्वारा माइंस की ओर जाने वाले पानी का रास्ता हम लोगों के घरों की तरफ मोड़ दिया गया है जिसके कारण सभी के घरों में बांध की स्थिति बन गई है घरों में घुटनों तक पानी भर गया है खाने पीने का राशन सब भींग गया है और तो और दो-तीन कच्चे घर भी इस पानी के कारण गिर गए हैं और एक बच्चा पानी में डूब कर मरने से बचा है। विदित हो कि सीधी जिले के बहुचर्चित अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट के कारनामे चर्चित रहते हैं बताया जा रहा है कि कल जब बारिश हो रही थी कंपनी के अधिकारी एसी रूम में आराम से बैठे थे तभी गरीब बस्ती बुढगौना में पानी का कहर जारी था ग्रामीणों द्वारा कहना है कि अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट हम लोगों के बस्ती से करीबन 50 मीटर दूर पर माइंस स्थापित किया है जिससे ब्लास्टिंग के चलते आए दिन पत्थर उचक उचक आते हैं उसके पश्चात आज तो हद ही हो गई पहाड़ का पानी का निकासी पूरा बस्ती के तरफ अल्ट्राटेक प्रबंधक के ठेकेदार द्वारा मोड़ दिया गया जिससे चार घर गिर गए एवं पूरे बस्ती में पानी ही पानी हो गया खाने की सामग्री बर्बाद हो गई छोटे-छोटे बच्चे बहने लगे जिसकी सूचना चौकी प्रभारी पिपरांव के मार्फत प्रबंधक को सूचना दिया गया प्रबंधक के ना सुनने पर 11:00 बजे रात लगभग 2 सैकड़ा महिलाएं पुरुष बुजुर्ग पिपराव चौकी में सूचना देकर अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट के मेन गेट पर धरने में बैठ गए जिसमें अल्ट्राटेक प्रबंधक के कानों तक जू तक नहीं रहेगा पूरी रात महिलाएं छोटे-छोटे बच्चे को लेकर गेट में बैठ रहे जिम्मेदार अल्ट्राटेक प्रबंधक के अधिकारी एसी रूम में खर्राटे भरते रहे । देखना होगा कि अल्ट्राटेक सीमेंट कम्पनी द्वारा की जा रही ब्लास्टिंग से उत्पन्न हो रही ग्रामीणों की समस्याओं पर प्रशासन मरहम लगायेगा या फिर कम्पनी प्रवंधन की मनमानी पर अंकुश लगायेगा ।