सीधी (ईन्यूज एमपी)-आज ग्राम पंचायत क्षेत्र बूसी में वृहद वृक्षारोपण व तिरंगा यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रमुख रुप से तहसीलदार चुरहट मणिराज सिंह बागरी, ग्राम पंचायत बूसी के सरपंच प्रियेश शुक्ला , बूसी हल्का के पटवारी दीपक तिवारी, ग्राम पंचायत के सचिव नीरज मिश्रा, ग्राम रोजगार सहायक सत्यप्रकाश पांडे लाली भाई ,ग्राम पंचायत के पंच आंगनवाड़ी की कार्यकर्ता व सहायिका एवं गांव के सभी वरिष्ठ व युवा साथी उपस्थित रहे। तहसीलदार मणिराज सिंह ने कहा कि वृक्षारोपण का कार्य बहुत ही महान है आजकल हम पर्यावरण से दूर जा रहे हैं लेकिन हम सबको यही प्रयास करना चाहिए कि हम साल में कम से कम दो-तीन पेड़ अवश्य लगाएं जिससे हमारा पर्यावरण का संतुलन बना रहे और पूरे समाज को शुद्ध हवा मिलती रहे किसी भी प्रकार की बीमारी के चपेट में समाज के लोग ना आए और खुशहाली से जीवन जिए पेड़ लगाना हम सबका मौलिक कर्तव्य है उसका हमें पालन करना चाहिए। वही बूशी के सरपंच प्रियेश शुक्लानन ने कहा कि वृक्षारोपण के पीछे का कारण ज्यादातर वनों को बढ़ावा देना, भूनिर्माण और भूमि सुधार है। वृक्षारोपण के इन उद्देश्यों में से प्रत्येक अपने स्वयं के अनूठे कारण के लिए महत्वपूर्ण है। वृक्षारोपण के सबसे सामान्य उद्देश्यों में से एक वनों को बढ़ावा देना है। पृथ्वी पर पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए वन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। एवम ऋषि कुमार पाण्डेय ने कहा कि वृक्षारोपण का शाब्दिक अर्थ है, वृक्ष लगाकर उन्हें उगाना इसका प्रयोजन करना। प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना, मानव के जीवन को सुखी, सम्रद्ध व संतुलित बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण का अपना विशेष महत्व है। मानव सभ्यता का उदय तथा इसका आरंभिक आश्रय भी प्रकृति अर्थात वन वृक्ष ही रहे हैं। ग्राम पंचायत के सचिव नीरज मिश्रा द्वारा बताया गया कि आजकल नगरों तथा महानगरों में छोटे-बड़े उद्योग – धंधों की वजह से धुआं, तरह-तरह के विषैली गैसें आदि निकलकर वायुमंडल में फेल कर हमारे पर्यावरण में भर जाती है। पेड़ पौधे इन विषैली गैसों को वायुमंडल में फैलने से रोक कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकते हैं। यदि हम चाहते हैं कि हमारी यह धरती प्रदूषण रहित रहे तथा इस पर निवास करने वाला मानव सुखी व स्वस्थ बना रहे तो हमें पेड़-पौधों की रक्षा तथा उनके नवरोपण की ओर ध्यान देना चाहिए। उपस्थित जनों में वरुण पाण्डेय, ओमशरण मिश्र, रोहणी मिश्र, सुज्जू मिश्र, विवेक पाण्डेय, रोहित पाण्डेय, मुड़िया साकेत, कामता विश्वकर्मा, उमेश पाण्डेय, राम पाण्डेय का काफी सहयोग रहा।