सीधी (ईन्यूज एमपी)-भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई के साइंटिफिक अफसर के पद पर चयनित होकर स्वतंत्र ङ्क्षसह ने सीधी जिले का मान बढ़ाया है। देश भर में जारी किए गए परिणाम में उन्हें प्रथम रैंक मिली है। सर्वोच्च संस्था भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में चयनित होने के पश्चात स्वतंत्र ङ्क्षसह के प्रथम गृह जिला आगमन पर आज उनका भव्य अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर मीडिया से रुबरू होते हुए स्वतंत्र ङ्क्षसह ने बताया कि उनकी एलकेजी से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई सीधी में हुई थी। इसके बाद आईटी जेई की कोचिंग के लिए कोटा चले गए। वहां दो साल तक कोचिंग लेने के बाद उनका चयन हो गया और आईआईटी भुवनेश्वर से उन्होने बीटेक एवं एमटेक किया। सिविल इंजीनियर बनने के बाद भी वह खुद की मंजिल नहीं पा रहे थे इस वजह से आगे की तैयारी निरंतर जारी रखा था। प्रथम प्रयास में वह भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के लिए चयनित नहीं हो सके थे फिर भी प्रयास जारी रखा। दरअसल लक्ष्य को पाने के लिए एकाग्रता का होना काफी जरूरी है। दूसरी बार प्रयास करने पर उन्हें सफलता मिली और उनका चयन भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई में साइंटिफिक अफसर के पद पर हो गया। स्वतंत्र सिंह चौहान आरंभ से ही मेधावी छात्र रहे हैं। उनकी रुचि साइंस विषय में काफी ज्यादा थी। इस दौरान अपने पूरे परिवार के साथ स्वतंत्र सिंह चौहान अभिनंदन कार्यक्रम में मौजूद थे। उनके पिता राजेश सिंह चौहान रसायन शास्त्र के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खिरखोरी में शिक्षक हैं। माता श्रीमती मीना सिंह चौहान अपने गृह ग्राम बघवारी में ही रहती हैं। शिक्षक राजेश सिंह चौहान ने बताया कि उनके पिता की मृत्यु जब वह काफी छोटे थे तभी हो गई थी। किंतु उनकी मां ने कठिन परिस्थितियों में उन्हें पाला-पोशा और पढ़ाई करने का अवसर उपलब्ध कराया। वह अपनी परिस्थितियों के अनुसार सीधी में ही पूरी पढ़ाई की और बाद में शिक्षक की नौकरी करने लगे। काफी कठिन परिस्थितियों से होते हुए गुजरने के कारण शिक्षक राजेश सिंह चौहान अपने बेटे स्वतंत्र सिंह को मिली बड़ी उपलब्धि पर भावुक भी हो गए। उनका कहना था कि वह अपनी क्षमता के अनुसार बच्चों की पढ़ाई में कोई कोर-कसर नहीं छोंडे। स्वतंत्र सिंह ने आज उनका सपना भी साकार कर दिया है। परिजनों के आशीर्वाद से मिली सफलता स्वतंत्र सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि उनकी सफलता में परिजनो का आशीर्वाद शामिल है। इसके अलावा जीवन ज्योति शिक्षक के साथ ही उनकी छोटी बहन का सहयोग भी काफी अहम रहा है। जिसके चलते वह इस मुकाम तक पहुंचे हैं। माता-पिता ने उन्हें हमेंशा पढऩे के लिए प्रोत्साहित किया। जिसके चलते उनकी एकाग्रता उच्च शिक्षा पर केंद्रित रही। उन्होने अन्य छात्र-छात्राओं को संदेश देते हुए कहा कि वह बुक्स पर ज्यादा फोकस करें। साथ ही पढ़ाई में इंटरनेट की मदद भी जरूरत के अनुसार लें। 12वीं के बाद अपनी आवश्यकता के बाद कोचिंग का सहारा भी ले सकते हैं। यदि छात्र को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान ऐसा आभाष होता है कि वह बढ़ती प्रतिष्पर्धा के बीच शासकीय नौकरी के लिए योग्य नहीं है तो समय और धन न गवाएं। आत्मनिर्भरता के लिए अन्य भी क्षेत्र हैं उसमें अपने कदम जमाएं और अपनी प्रतिभा के अनुसार सफलता अर्जित करें। ईश्वरीय विश्व विद्यालय में किया सम्मान भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई के साइंटिफिक अफसर के पद पर चयनित स्वतंत्र ङ्क्षसह का आज अभिनंदन समारोह के दौरान ईश्वरीय विश्व विद्यालय जमोंड़ी की बहन अरुणा एवं भ्राता कृष्णा साल-माला पहनाते हुए पेन-डायरी भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान बहन अरुणा ने कहा कि सफलता उसी व्यक्ति को मिलती है जिसने पूरे समर्पण के साथ मेहनत की है। आज स्वतंत्र सिंह ने बड़ी उपलब्धि अर्जित कर अपने माता-पिता का नाम रोशन करने के साथ ही जिले का मान भी बढ़ाया है। अन्य पढऩे वाले छात्र-छात्राओं एवं युवाओ के लिए वह निश्चित ही प्रेरणा का कार्य करेंगे। भ्राता कृष्णा ने कहा कि निश्चित ही पूरे समर्पण भाव के साथ यदि कोई भी कार्य किया जाए तो मंजिल मिलनी निश्चित है। यदि व्यक्ति पूरी एकाग्रता के साथ अपने कार्य को संपन्न नहीं करता तो उसमें सफलता का मिलना भी अनिश्चित हो जाता है। स्वतंत्र सिंह ने पूरी लगन एवं तन्मयता के साथ आरंभ से ही अपना विद्याध्ययन जारी रखा जिसके चलते उन्हें आज देश एवं विदेश के प्रतिष्ठित भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक बनने का मौका मिला है।