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Home मध्य प्रदेश 1106 डाक्टरों को जारी हुआ नोटिस, पंजीयन निलंबित करने की तैयारी......

1106 डाक्टरों को जारी हुआ नोटिस, पंजीयन निलंबित करने की तैयारी......

भोपाल (ईन्यूज एमपी) बार- बार नोटिस देने के बाद भी प्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजों से पढ़ाई कर निकले 1106 चिकित्सकों ने अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंधपत्र (बांड) की शर्तों के तहत न तो सेवा दी है और न ही बांड की राशि जमा की है। मप्र मेडिकल काउंसिल ने इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। इसके बाद जवाब नहीं देने वालों का पंजीयन निलंबित करने की कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंध पत्र के तहत एमबीबीएस और एमडी-एमएस डिग्रीधारी डाक्टरों को एक-एक साल के लिए शासन द्वारा तय जगह पर सेवा देनी होती है। काउंसिल की सख्ती के बाद सेवा नहीं देने वाले डाक्टरों ने 75 करोड़ रुपये बांड की राशि के रूप में जमा करा दिए हैं।

प्रदेश में डाक्टरों की कमी को देखते हुए अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंधपत्र 2002 में लागू किया गया था। इसमें यह शर्त थी कि एमबीबीएस के बाद एक साल और एमडी-एमएस के बाद दो साल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित स्थान पर जाकर सेवा देना होगी। बाद में जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन की हड़ताल के बाद एमडी-एमएस के बाद दो की जगह एक साल की सेवा शर्त तय कर दी गई। एक साल की सेवा नहीं देने की एवज में एमबीबीएस डिग्रीधारी डाक्टरों को पांच लाख और पीजी वाले को 10 लाख रुपये जमा करने की शर्त थी। 2002 से 2018 के बीच प्रदेश के पांच सरकारी मेडिकल कालेजों से पढ़ाई कर निकले 3899 डाक्टरों ने न तो बांड की राशि जमा की थी और न ही सेवा दी थी। इसके बाद सख्ती शुरू की गई तो 2700 डाक्टरों ने बांड के 75 करोड़ रुपये जमा करा दिए, लेकिन बाकी डाक्‍टर्स बार-बार नोटिस के बाद भी सामने नहीं आ रहे हैं। मप्र मेडिकल काउंसिल के अधिकारियों ने बताया कि कई डाक्टरों के पते भी बदल गए हैं। इस कारण उन तक नोटिस भी नहीं पहुंच पा रहा है। बता दें कि संबंधित मेडिकल कालेजों के जरिए ही इन्हें नोटिस भेजा गया था। प्रतिनिधि)। बार- बार नोटिस देने के बाद भी प्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजों से पढ़ाई कर निकले 1106 चिकित्सकों ने अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंधपत्र (बांड) की शर्तों के तहत न तो सेवा दी है और न ही बांड की राशि जमा की है। मप्र मेडिकल काउंसिल ने इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। इसके बाद जवाब नहीं देने वालों का पंजीयन निलंबित करने की कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंध पत्र के तहत एमबीबीएस और एमडी-एमएस डिग्रीधारी डाक्टरों को एक-एक साल के लिए शासन द्वारा तय जगह पर सेवा देनी होती है। काउंसिल की सख्ती के बाद सेवा नहीं देने वाले डाक्टरों ने 75 करोड़ रुपये बांड की राशि के रूप में जमा करा दिए हैं।
प्रदेश में डाक्टरों की कमी को देखते हुए अनिवार्य ग्रामीण सेवा बंधपत्र 2002 में लागू किया गया था। इसमें यह शर्त थी कि एमबीबीएस के बाद एक साल और एमडी-एमएस के बाद दो साल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित स्थान पर जाकर सेवा देना होगी। बाद में जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन की हड़ताल के बाद एमडी-एमएस के बाद दो की जगह एक साल की सेवा शर्त तय कर दी गई। एक साल की सेवा नहीं देने की एवज में एमबीबीएस डिग्रीधारी डाक्टरों को पांच लाख और पीजी वाले को 10 लाख रुपये जमा करने की शर्त थी। 2002 से 2018 के बीच प्रदेश के पांच सरकारी मेडिकल कालेजों से पढ़ाई कर निकले 3899 डाक्टरों ने न तो बांड की राशि जमा की थी और न ही सेवा दी थी। इसके बाद सख्ती शुरू की गई तो 2700 डाक्टरों ने बांड के 75 करोड़ रुपये जमा करा दिए, लेकिन बाकी डाक्‍टर्स बार-बार नोटिस के बाद भी सामने नहीं आ रहे हैं। मप्र मेडिकल काउंसिल के अधिकारियों ने बताया कि कई डाक्टरों के पते भी बदल गए हैं। इस कारण उन तक नोटिस भी नहीं पहुंच पा रहा है। बता दें कि संबंधित मेडिकल कालेजों के जरिए ही इन्हें नोटिस भेजा गया था।

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