भोपाल(ईन्यूज एमपी)- सरकार द्वारा नियमों और आदेशों को किस तरह अपने हिसाब से तोड़ा और मोड़ा जाता है यह सर्वविदित है, कर्मचारियों से जरूरत पूर्ण होने के बाद पल्ला कैसे झाड़ा जाता है अब ये भी देख लीजिए कल तक जिन्हें योद्धा कहा जाता था,उनका नाम बड़े आदर सम्मान से लिया जाता था उन पर पुष्प वर्षा होती थी उन्हें ही अब काम खत्म होने के बाद दूध में गिरी मक्खी के समान निकाल बाहर कर दिया गया है। जी हां कोरोनाकाल में जब लोग एक दूसरे से बात करने तक मे घबराते थे, तब एएनएम (ऑग्जिलरी नर्स मिडवाइफरी) बच्चों और बुजुर्गों को संक्रमण से बचाने के काम में लगी हुई थी। इन एएमएम को वैक्सीनेटर्स की कमी के चलते एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) ने 89 दिनों के लिए अस्थायी वैक्सीनेटर के रूप में रखा था। कोविड के दौरान इनकी जरूरत ज्यादा हुई तो कार्यकाल दो बार बढ़ाया, लेकिन अब बीते 18 दिसंबर को एनएचएम ने इनकी सेवाएं आगे न लेने आदेश जारी कर दिया। तब से ये एएनएम परेशान है। एएनएम का दर्द सुने तो कई ऐसी एएनएम हैं, जो 8 से 10 साल से वैक्सीनेटर का काम कर रही है। अब उम्र भी 40 पार हो चुकी है। नौकरी छूटी तो बच्चों और परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे। एनएचएम के दफ्तर पहुंची एएनएम ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर में भोपाल जिले में 38 एएनएम को 89 दिनों के लिए अस्थायी वैक्सीनेटर के तौर पर 12 हजार प्रतिमाह पर नियुक्त किया गया था। 36 एएनएम ने कोरोना काल में भी सेवाएं दीं। सेवा समाप्त करने के आदेश को लेकर एनएचएम की एमडी प्रियंका दास से इन कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की।