इंदौर (ईन्यूज एमपी)- स्वच्छता के नवाचारों से ही इंदौर ने विगत पांच वर्षो से स्वच्छ सर्वेक्षण में नंबर 1 का ताज पहन रखा है। इंदौर शहर में तैयार हुए एशिया के सबसे बड़े बायो सीएनजी प्लांट का लोकापर्ण स्वच्छता के नवाचारों में एक मील का पत्थर साबित होगा। ट्रेचिंग ग्राउंड में 550 टन गीले कचरे से 17500 किलो बायो सीएनजी तैयार करने वाले 'गोवर्धन बायो सीएनजी प्लांट का आज शुभारंभ होगा। इस प्लांट के माध्यम से एक साल में 1 लाख 30 हजार टन कार्बन डाइ आक्साइड के उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअल तरीके से इस प्लांट का लोकार्पण करेंगे। इंदौर में इस प्लांट के लोकापर्ण कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, आवासन व शहरी कार्य एवं पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के के केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, प्रदेश गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर,भारत सरकार के राज्य मंत्री कौशल किशोर, मप्र शासन के राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया, सांसद शंकर लालवानी व आइडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा शामिल होंगे। इंदौर में तैयार हुए 550 टन क्षमता वाले इस बायो सीएनजी प्लांट को फिलहाल एशिया का सबसे बड़ा प्लांट कहा जा रहा है। अभी जर्मन में ही इस तरह बायोगैस प्लांट होने का दावा किया जा रहा है। विश्व बायोगैस फोरम के माध्यम से इस प्लांट का प्रमाणिकरण करवाया जाएगा। इसके पश्चात यह संभावना जताई जा रही है कि यह प्लांट विश्व का सबसे अधिक क्षमता वाला बायो सीएनजी प्लांट हो सकता है। जर्मनी में 12 डाइजेस्टर के माध्यम से गीले कचरे का उपयोग कर बिजली बनाई जाती है। भारतीय बायो गैस संस्थान के अध्यक्ष गौरव कुमार केडिया के मुताबिक इंदौर में गीले व सूखे को अलग-अलग किया जा रहा है। यही वजह है कि वैज्ञानिक तरीके से इसका निराकरण कर गैस व खाद बनाई जा रही है। इंदौर ने तकनीकी, सामाजिक व आर्थिक तरीके को सही उपयोग कर इस प्लांट को देश के अन्य शहरों के लिए उदाहरण के रुप में प्रस्तुत किया है। देश के अन्य शहर भी इस तरह का प्लांट अपने शहरों में तैयार कर पाएंगे। बायो सीएनजी प्लांट: एक नजर -550 टन गीले कचरे से 17500 किलो बायो सीएनजी तैयार -अगस्त 2020 में शुरु हुआ था निर्माण -150 करोड़ रुपये हुए खर्च -100 टन प्रतिदिन खाद तैयार होगी -15 एकड़ में बना हुआ प्लांट -600 टन प्रतिदिन गीले कचरे की कटाई कर सीएनजी बनाने के लिए स्लरी तैयार की जाएगी। - 4 डाइजेस्ट में स्लरी को डाला जाएगा जिससे बायोगैस तैयार होगी। अभी 250 टन क्षमता के दो डाइजेस्टर में गीला कचरा डालकर बायो सीएनजी गैस तैयार की जा रही। अन्य दो डाइजेस्टर में कल्चर तैयार होग रहा है, इसमें मार्च माह के शुरुआत में गीला कचरा डाल बायो सीएनजी का उत्पादन शुरु किया जाएगा। - 2 शिफ्ट में सुबह व रात को होगा प्लांट का संचालन। -65 कर्मचारी यहां करेंगे काम। - सेंट्रल कमांड कंट्रोल रुम से प्लांट की होगी मानीटरिंग। - 400 सिटी बसों को बायो सीएनजी उपलब्ध करवाने की है योजना। उदघाटन के दिन 25 बसों को दिया जाएगा ईंधन। - 300 किलो बायो सीएनजी अभी हुई है तैयार। रविवार से 500 किलो बायो सीएनजी तैयार होगी और फरवरी माह के अंत तक 2 हजार किलो बायो सीएनजी तैयार होगी। - एक वर्ष में 200 से ज्यादा बार गीले कचरे की टेस्टिंग कर जांची शुद्धता, यह पता किया गया कि कही सूखा कचरा तो गीले के साथ नहीं आ रहा। - 96 फीसद मीथेन वाली बायो सीएनजी होगी तैयार। - इस प्लांट के चलाने 1 लाख 30 हजार टन कार्बन डाइ आक्साइड की प्रतिवर्ष बचत होगी । - 2.5 करोड़ रुपये प्रति वर्ष बायोसीएनजी बनाने वाली कंपनी निगम को देगी। इससे निगम को आमदनी भी होगी