भोपाल (ईन्यूज़ एमपी )देश के अलग-अलग हिस्सों के किसानों से बात करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने सवालों में ही नए कृषि कानूनों का फीड बैक लेने की कोशिश की। प्राइवेट कंपनी ने सिर्फ आपकी फसल खरीदी या जमीन भी ले ली? अरुणाचल प्रदेश के गगन पेरिंग से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सवाल पूछा तो वे थोड़ा हैरान हुए। उन्होंने जवाब दिया कि 'उत्पाद को ले जाने का एग्रीमेंट हुआ है, जमीन का नहीं। जमीन तो सुरक्षित है।' पीएम किसान सम्मान निधि की अगली किस्त जारी करते हुए पीएम मोदी ने यह सवाल अनायास ही नहीं पूछा। वह अपने सवालों के जरिए उनकी सरकार की तरफ से लाए गए कृषि कानूनों के विरोधियों को जवाब दे रहे थे। मोदी ने किसानों ने उन आशंकाओं को लेकर सवाल किए जिनका जिक्र प्रदर्शनकारी किसान संगठन कर रहे हैं। मोदी ने पश्चिम बंगाल का खासतौर पर जिक्र किया और पूछा कि वहां की ममता बनर्जी सरकार क्यों पीएम किसान योजना के लाभ से राज्य के किसानों को वंचित रखे हुए है। उन्होंने लेफ्ट दलों को आड़े हाथों लिया और दिल्ली में किसान आंदोलन पर भी निशाना साधा। प्रधानमंत्री मोदी ने जारी की पीएम किसान की अगली किस्त, आपको मिली या नहीं, ऐसे करें पता बंगाल में क्यों आंदोलन नहीं करते? पूरे हिंदुस्तान के किसानों को किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिला रहा है, सभी विचारधारा की सरकारें इसे जुड़ी हैं, लेकिन एकमात्र पश्चिम बंगाल सरकार वहां के 70 लाख के किसानों को इसका फायदा नहीं पहुंचने दे रही है। बंगाल की सरकार अपने राजनीतिक कारणों से राज्य के किसानों को पैसा नहीं दे रही है।बंगाल के कई किसानों ने भारत सरकार को सीधी चिट्ठी लिखी है, उसको भी मान्यता नहीं दे रही हैं। मैं हैरान हूं जो लोग 30-30 साल तक राज करते थे, अपनी विचारधारा के कारण उन्होंने बंगाल को कहां से कहां ला दिया, देश जानका है। ममता जी के 15 साल पुराने भाषण सुनोगे तो समझ आ जाएगा कि इस राजनीतिक विचारधार ने देश को कितना बर्बाद कर दिया है। बंगाल में उनकी (लेफ्ट) पार्टी है, संगठन है, 30 साल सरकार चलाई है, एक बार भी इन लोगों ने किसानों को 2 हजार रुपये के लिए कोई आंदोलन नहीं चलाया। ये लोग बंगाल से उठकर पंजाब पहुंच गए, तब सवाल उठता है। और पश्चिम बंगाल की सरकार भी 70 लाख किसानों को योजना का लाभ नहीं लेने दे रही है, लेकिन पंजाब में लेफ्ट के साथ गुपचुप करती है। देश की जनता को यह खेल पता है। जो दल बंगाल में किसानों की हालत पर कुछ नहीं बोलते, वे दिल्ली के नागरिकों को परेशान करने पर लगे हैं। देश की अर्थनीति को बर्बाद करने में लगे हैं, वह भी किसान के नाम पर।