भोपाल(ईन्यूज एमपी)-कोरोना योद्धा कहे जाने वाले स्वास्थ्यकर्मी गुरुवार को जब अपनी मांगों को लेकर नीलम पार्क में एकजुट हुए तो प्रशासन ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। इस दौरान चार महिला स्वास्थ्यकर्मी घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भ्ार्ती कराना पड़ा। एक गर्भवती महिला स्वास्थ्यकर्मी प्रशासन के रवैये से इस कदर परेशान हुई कि बेहोश हो गई। उसे तुरंत एंबुलेंस से अस्पताल भेजा गया। धरनास्थल से हटाने में नाकाम प्रशासन कुछ स्वास्थ्यकर्मियों को जेल भी ले गया, लेकिन वे अपनी मांग पर अड़े रहे। स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा कि कोरोना महामारी में जब हमारी जरूरत थी तो काम करा लिया और अब हमें निकाल दिया गया है। बता दें कि अप्रैल 2020 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के तहत विभागीय नियमानुसार प्रशिक्षण देने के बाद तीन माह के लिए 6113 स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति की गई थी जिसे नौ माह तक बढ़ाया भी गया। अब स्वास्थ्यकर्मियों को निकाला जा रहा है। कमचारियों की मांग है कि उन्हें स्थायी नियुक्ति दी जाए या उन्हें संविदा पर रखा जाए। नीलम पार्क में तीन दिन से प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशासन ने गुरुवार को जाने के लिए कहा तो वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने की मांग करने लगे। प्रदर्शन में प्रदेशभर से करीब 1200 स्वास्थ्यकर्मी शामिल हुए। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अगर हमारी नियुक्ति निरस्त कर दी जाती है तो हम बेरोजगार हो जाएंगे। प्रफुल्ल यादव ने कहा कि जब शासन को हमारी जरूरत थी तो सेवाएं लीं और अब बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया है कि जहां एक तरफ विश्वभर में कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया जा रहा है, उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहीं मप्र की शिवराज सरकार उन पर बर्बर तरीके से लाठियां बरसा रही है, यह घटना बेहद निदंनीय व मानवीयता को शर्मसार करने वाली है। शासन के खिलाफ लगाए नारे स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि कोविड-19 के समय पॉजिटिव मरीजों के सीधे संपर्क में रहते हुए इलाज एवं सेवाएं देते रहे। इस दौरान सभी ने अपना घर छोड़कर सेवाएं दी, जिसमें कई कर्मचारी पॉजिटिव हुए तो कई की जान भी गई। स्वास्थ्य कर्मियों ने शासन के खिलाफ नारे लगाए और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से निवेदन किया कि जान जोखिम में डालकर किए गए कार्य को ध्यान में रखते हुए स्थाई नियुक्तियां दी जाएं।