भोपाल (ईन्यूज एमपी)- कोरोना काल में 22 मार्च 2020 के बाद नौकरी गंवाने वाले राज्य कर्मचारी बीमा निगम (ईएसआईसी) के सदस्य कर्मचारियों को केंद्र सरकार की अटल पेंशन योजना के तहत तीन माह की आधी राशि यानी कुल डेढ़ माह का वेतन राहत के तौर पर दिया जाएगा। अटल पेंशन योजना का लाभ पाने लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम आवेदन का प्रारूप तैयार कर रहा है। प्रभावित कर्मचारी के आवेदन पत्र भरकर देने के बाद राशि उनके खाते में जमा कराई जाएगी। यह अधिकतम 30 हजार रुपये तक हो सकती है। योजना का लाभ उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा, जिन्होंने वर्ष 2019 में कम से कम 78 दिन काम किया होगा। अटल पेंशन योजना से मध्य प्रदेश में करीब 5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। कर्मचारी राज्य बीमा निगम के सलाहकार सुल्तान सिंह शेखावत ने बताया कि टैक्सटाइल से जुड़े कर्मचारियों के लिए पहले केंद्र सरकार की योजना चलती थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ गया है। श्रम कानून में संशोधन कर केंद्र सरकार ने यह प्रावधान कर दिया है कि 22 मार्च 2020 के बाद जिनकी नौकरी गई है, उन्हें इसका लाभ मिलेगा। मध्य प्रदेश के सभी औद्योगिक क्षेत्रों की वे इकाइयां, जिनके यहां 20 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, वे इसके दायरे में आएंगी। ऐसी संस्थाएं, जिन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य व अन्य सुविधाएं देने के विकल्प रखे हैं, उनमें यह प्रावधान लागू होंगे। राज्य सरकार की भूमिका सहयोगी की होगी, क्योंकि निगम भले ही केंद्रीय हो पर सेवाएं राज्य की हैं। अटल पेंशन योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए तीन शर्तों का पूरा होना जरूरी है। पहला- संबंधित कर्मचारी निगम का दो वर्ष का सदस्य होना चाहिए। दूसरा- वर्ष 2019 में कम से कम 78 दिन काम किया हो और तीसरा आधार कार्ड होना चाहिए। अटल पेंशन योजना के लिए आवेदन पत्र का प्रारूप जल्द ही उपलब्ध कराया जाएगा। पांच लाख से ज्यादा कर्मचारियों को मिल सकता है लाभ शेखावत का कहना है कि आर्थिक मंदी और कोरोना संकट के कारण उद्योग-धंधे प्रभावित हुए हैं। ऐसा कोई उद्योग नहीं है, जो प्रभावित न हुआ हो। मंडीदीप, पीथमपुर, मालनपुर सहित अन्य औद्योगिक केंद्रों के अलावा हर जिले में औद्योगिक इकाइयां हैं। मॉल, अस्पताल से लेकर अन्य संस्थाओं में 20 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। यह सब योजना के दायरे में आएंगे। अनुमान है कि पांच लाख कर्मचारियों को योजना का फायदा हो सकता है। औसत 15 से 25 हजार रुपये तक उन कर्मचारियों को मिल सकते हैं, जिनका रोजगार छिन गया है। राज्य के ऊपर इस योजना का वित्तीय भार नहीं आएगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए पर्याप्त प्रावधान रखा है।