भोपाल (ईन्यूज एमपी)-मध्य प्रदेश में वेतन, पेंशन और वेतन वृद्घि अटकाने से कर्मचारी खफा हैं। ये फिर से घेराबंदी की तैयारी कर रहे हैं। इनकी नाराजगी सरकार से है। अब कोरोना संक्रमण के साथ ही ये आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। आंदोलन कैसे और किस रूप में करेंगे, यह अभी तय नहीं हुआ है। इस पर चर्चा चल रही है। रक्षाबंधन के पूर्व भी ये नाराज हो गए थे। तब गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा सामने आए और उन्होंने 31 जुलाई को कर्मचारी संगठनों को घर बुलाकर सुना था और वेतन वृद्घि पर स्पष्टीकरण दिलवाने का भरोसा दिया था जो गुरुवार शाम तक नहीं मिला है। नाराजगी की प्रमुख वजह पेंशन अटका दीः मार्च के बाद प्रदेश के दफ्तरों से हजारों कर्मचारी व अधिकारी सेवानिवृत्त हुए हैं। वरिष्ठ पेंशनर गणेषदत्त जोशी ने बताया कि इन पेंशनरों के भुगतान आदेश अभी तक जारी नहीं किए हैं। भुगतान रोकने के लिखित में कोई आदेश भी नहीं हुए हैं। बताया जा रहा है कि इन पेंशनरों को करोड़ों रुपये देने पड़ेंगे, इसलिए इनके आदेश लंबित हैं। वेतन वृद्घि पर संशय दूर नहीं: कर्मचारियों को साल में एक बार वेतन वृद्घि मिलती है, जो इस बार जुलाई में मिलनी थी। कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी का कहना है कि काल्पनिक वेतन वृद्घि देने की बात कह दी है। यह कैसे और कब मिलेगी इस पर भ्रम है। 50 हजार शिक्षक वेतन से वंचितः डेढ़ लाख से अधिक शिक्षकों को रक्षा बंधन के पूर्व तीन माह से वेतन भुगतान नहीं हुआ था। ये अड़ गए थे। खींचतान की तो ज्यादातर को भुगतान हो गया है। शासकीय अध्यापक संघ के संयोजक उपेंद्र कौशल का कहना है कि अभी तक 50 हजार शिक्षक वेतन से वंचित हैं। कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। हर तरह के लाभ से वंचित रखा जाएगा तो काम कैसे करेंगे। पूर्व में महंगाई भत्ता नहीं दिया तो कर्मचारी मान गए। फिर छठवें वेतनमान के एरियर्स की किस्त रोकी तो भी कुछ नहीं कहा, क्योंकि संकट है। अब पेंशन, वेतन रोकना और फिर वेतन वृद्घि नहीं देना ये तो हितों को सीधे-सीधे नुकसान पहुंचाना है। कर्मचारी इन सब बातों के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। - वीरेंद्र खोंगल, संरक्षक मप्र कर्मचारी कांग्रेस