रायपुर(ईन्यूज एमपी)-प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद पहली बार ईओडब्ल्यूू-एंटी करप्शन ब्यूरो ने 16 से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है। इन अफसरों-कर्मियों के खिलाफ गंभीर शिकायतें मिली थीं। उसी आधार पर एफआईआर दर्ज की गई। जांच में भ्रष्टाचार के पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद छापे की कार्रवाई की जाएगी। सत्ता परिवर्तन के बाद ईओडब्ल्यू नान घोटाले की नए सिरे से जांच कर रहा है। इसके अलावा निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता और उनकी स्टेनो रही रेखा नायर के खिलाफ अवैध फोन टैपिंग की जांच चल रही है। रेखा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस भी दर्ज कर लिया गया है। ई-टेंडरिंग के भी कथित घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू के माध्यम से ही की जा रही है। हालांकि अभी रेखा नायर के केस को छोड़कर बाकी सभी केस में कोर्ट से जांच को लेकर ही स्टे है। ईओडब्ल्यू ने जांच भले ही बंद कर दी है, लेकिन प्रकरण लंबित है। इन मामलों के अलावा अब लंबित शिकायतों के परीक्षण के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई है। ईओडब्ल्यू-एंटी करप्शन ब्यूरो के एडीजी जीपी सिंह का कहना है कि गंभीर शिकायतों का परीक्षण किया गया। दो स्तर पर स्क्रीनिंग के बाद शिकायतों का दूसरी बार अध्ययन किया गया। उसके बाद ही प्राथमिकी दर्ज की गई है। जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। समीक्षा का सिस्टम बदला ईओडब्ल्यूू-एंटी करप्शन ब्यूरो के अफसरों ने समीक्षा का सिस्टम भी बदल दिया है। अब महीने में एक साथ सभी केस की समीक्षा नहीं की जा रही है। अफसर तीन-चार लंबित केस की फाइलें ही मंगवाकर कर उसकी प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं। इसके लिए केवल उन्हीं अफसरों को बुलाया जा रहा है जो जांच में शामिल हैं अथवा उस टीम का हिस्सा हैं। अफसरों का मानना है कि एक ही दिन सारी लंबित शिकायतों का परीक्षण संभव नहीं है। इसी स्थिति को दूर करने के लिए तीन-चार केस की फाइल की जांच की जा रही है। पुराने लंबित केस में तेजी ईओडब्ल्यू और एंटी करप्शन ब्यूरो में करीब 90 से ज्यादा केस लंबित हैं। अफसरों ने इनकी समीक्षा भी शुरू कर दी है कि कौन-कौन से केस कितने लंबे समय से और क्यों अटके हैं। उनमें कहां तक कार्रवाई की गई। अब तक की गई कार्रवाई का क्या नतीजा सामने आ रहा है? लंबित केस निपटाने के साथ नई अर्जियों की पड़ताल के लिए अफसरों की टीम भी तय कर दी गई है।