कुसमी/अंबिकापुर(ईन्यूज एमपी)-कुसमी विकासखंड के दूरस्थ ग्राम डूमरखोली में उल्टी-दस्त से 10 दिन के भीतर छह लोगों की मौत हो गई है, जिसमें एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हुई है, जबकि कई लोग उल्टी-दस्त से अभी भी पीड़ित हैं। सिलसिलेवार मौतों से ग्रामीण सहमे हुए हैं। स्वास्थ्य अमले को अभी तक जानकारी भी नहीं है। गांव में दो वर्ष पहले उप स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है, लेकिन अभी तक उप स्वास्थ्य केंद्र की शुरुआत नहीं की गई है, जिससे ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा भी नहीं मिल पाती। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम डूमरखोली के बैगापारा में एक ही परिवार के तीन सदस्यतेतरी बाई पति रतु 55 वर्ष, पहरी पिता सजन ढाई वर्ष तथा बिफनी पति चूढ़रू 35 वर्ष की एक सप्ताह के अंदर उल्टी-दस्त से मौत हो गई है। मृतिका बिफनी के पति चूड़रु ने बताया कि सबसे पहले मेरी मां को उल्टी-दस्त हुई। दो दिन बाद वह चल बसी। इसके बाद भतीजी ने भी उल्टी-दस्त से दम तोड़ दिया। बाद में पत्नी बिफनी भी उल्टी-दस्त की चपेट में आ गई और उसने भी दम तोड़ दिया। उसने बताया कि इलाज करवाने हेतु साधन के अभाव में हम लोग इलाज नहीं करवा पाए। चूडरू का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग से कोई इस गांव में नही आता है। उसके दो बच्चे दिलबंधू छह वर्ष तथा फूलमनिया चार वर्ष भी उल्टी-दस्त की चपेट में है। उनका भी उपचार वह नहीं करा पा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए भवन बने करीब तीन वर्ष हो चुका है, पर आज तक उसका ताला नहीं खुला है अगर इस स्वास्थ्य केंद्र में कर्मचारी रहते तो शायद मौत नहीं होती। ग्रामीणों ने बताया कि डूमरखोली के पश्चिमपारा में भी अति संरक्षित जनजाति बिरिजिया समाज के तीन लोगों की उल्टी-दस्त से मौत हो चुकी है, जिसमें मुखलाल पिता घुमा 30 वर्ष, पूरन पिता शुक्ला 55 वर्ष, भुनेश्वर पिता जोड़ी 60 वर्ष शामिल हैं। विदित हो कि यह गांव हिंडालको की बाक्साइट खदान क्षेत्र में आता है, लेकिन अभी तक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी है। कंपनी दावा करती है कि हम लोग सीएसआर मद से क्षेत्र का विकास करने के साथ लोगों चिकित्सा सुविधा प्रदान करते हैं तथा चलित अस्पताल से गांव गांव जा कर लोगों का इलाज करते हैं, किंतु एक सप्ताह के अंदर छह लोगों का उल्टी-दस्त से मौत हो जाने के बाद दावे खोखला साबित हो रहे है। यहां के ग्रामीणों के लिए शुद्ध पेयजल का अभाव है। यहां के लोग ढोढी का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। यहां मात्र एक हैंडपंप है, जिसका उपयोग यह लोग नहीं कर पाते हैं। ढोड़ी का पानी पीने से इनकी तबीयत खराब हो जाती हैं। जल शुद्धिकरण के लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता है। न तो स्वास्थ्य अमला पहुंचता है और न ही पीएचई के कर्मचारी ही इस क्षेत्र में आते हैं। स्वास्थ विभाग को चाहिए कि यहां पर जो उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन बना है, उसका संचालन अविलंब शुरू करे ताकि लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा मिल सके। बलरामपुर कलेक्टर संजीव झा ने बताया कि डूमरखोली गांव पहुंच विहीन नहीं है। यह मुख्यमार्ग के किनारे ही स्थित है। यदि उल्टी-दस्त से मौतें होती तो निश्चित रूप से स्वास्थ्य व प्रशासनिक अमले तक सूचना पहुंचती। जबतक पुष्टि नही हो जाती, तबतक कुछ भी नहीं कहा जा सका। उन्होंने कहा कि वे स्वयं कल कुसमी विकासखंड के अंतिम छोर पर बसे गांव धनेशपुर में गए थे। किसी तरह की कोई सूचना सामने नहीं आई है। रविवार को ही उन्होंने कुसमी एसडीएम, तहसीलदार व बीएमओ से भी पूछताछ की, लेकिन सभी ने अनभिज्ञता जताई है। सोमवार को टीम गांव भेजी जाएगी। उन्होंने बताया कि इन दिनों पदयात्रा का कार्यक्रम भी चल रहा है। हाट बाजार में स्वास्थ्य शिविर भी लग रहे हैं। यदि किसी गांव में छह लोगों की मौत हो जाए तो निश्चित रूप से सूचना अबतक पहुंच जाती। जो जानकारी सामने आ रही है, उसकी सत्यता की जांच कराई जाएगी।