भोपाल(ईन्यूज एमपी)-चार दिन की सियासी हलचल के बाद मंगलवार को राज्यपाल लालजी टंडन ने मप्र नगर पालिक विधि संशोधन अध्यादेश 2019 का अनुमोदन कर दिया। अध्यादेश लागू होने पर नगरीय निकायों में अब करीब 20 साल बाद फिर से जनता के बजाय पार्षद महापौर व अध्यक्ष को चुनेंगे। सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव से संबंधित दो बिल राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजे थे। इनमें से पार्षदों द्वारा शपथपत्र में गलत जानकारी देने पर जुर्माना व सजा संबंधी अध्यादेश काे राज्यपाल ने अनुमोदित कर दिया था, लेकिन अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर व अध्यक्ष के चुनाव वाला बिल रोक लिया था। इसे लेकर सियासत शुरू हो गई थी। भाजपा इसका विरोध कर रही है। ऑल इंडिया मेयर्स काउंसिल के संगठन मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने राज्यपाल से मिलकर इस अध्यादेश की खिलाफत की थी। इस बीच कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीट कर राज्यपाल को राजधर्म का पालन करने की सलाह दे दी। बताया जाता है कि इस पर टंडन ने काफी नाराजगी जताई और अध्यादेश को रोक लिया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी टंडन से मिलकर अध्यादेश का विरोध किया था। मामला बिगड़ता देख मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार शाम राजभवन पहुंचकर उनसे मुलाकात की और तन्खा के बयान को उनकी निजी राय बताया। उन्होंने राज्यपाल काे बताया कि सरकार का उन विचारों से कोई लेना देना नहीं है। लोकतंत्र में स्वस्थ मर्यादाओं का पालन जरूरी है। राज्य सरकार संवैधानिक मर्यादाओं के प्रति प्रतिबद्ध है। इसके बाद मसला सुलझा और राज्यपाल ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी।