रतलाम(ईन्यूज एमपी)- लायसेंसी (सरकारी) शराब दुकान चलाने के लिए 35 हजार रुपए की रिशवत लेने के छह साल पुराने मामले में न्यायालय ने आबकारी विभाग के आलोट वृत्त के तत्कालीन उपनिरीक्षक (एसआई) अभियुक्त राजीव थापक पिता रामगिलोले थापक (40) निवासी गोरनी जिला भिंड हालमुकाम शाहपुरा, भोपाल को चार वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। उस पर सात हजार रुपए का जुर्माना भी किया गया। फैसला सोमवार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश राजेंद्रकुमार दक्षणी ने सुनाया। प्रकरण के अनुसार फरियादी राजेशसिंह ने 7 जून 2013 को उज्जैन एसपी कार्यालय पहुंचकर प्रभारी एसपी पदमसिंह बघेल लिखित में शिकायत की थी कि वे लायसेंसी मनीष जायसवाल एंड कंपनी की तरफ से आलोट में स्थित देशी-विदेशी शराब की दुकान का संचालन करते हैं। दुकान चलाने के लिए आबकारी विभाग के आलोट में पदस्थ एसआई राजीव थापक ने 35 हजार रुपए की रिश्वत मांगी है। बघेल ने तत्कालीन डीएसपी एसएस उदावत को आवेदन की तस्दीक करने और थापक को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ने की कार्रवाई के निर्देश दिए थे। राजेश ने 10 जून को आबकारी एसआई थापक को रुपयों से भरा लिफाफा दिया था। थापक ने लिफाफा वेयर हाउस के तत्कालीन प्रबंधक आरोपित चंद्रपाल पिता राजाराम जायसवाल (43) निवासी गायत्रीनगर उज्जैन को दे दिया था। तभी दल ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। डीसपी उदावत ने राजेश को डिजिटल वाइस रिकॉर्डर देकर थापक से रिश्वत की बातचीत टेप करने को कहा था। राजेश लोकायुक्त आरक्षक संतोषसिंह के साथ आबकारी कार्यालय गया था। संतोष को बाहर खड़ा करके राजेश ने आबकारी कार्यालय आलोट में जाकर थापक से बातचीत की थी। थापक ने उसे 10 जून को 35 हजार रुपए लेकर आने के लिए कहा था। बातचीत टेप करके राजेश ने लोकायुक्त पुलिस को रिकॉर्डर दे दिया था। इसके बाद लोकायुक्त ने थापक को पकड़ने की योजना बनाई थी। दल ने 35 हजार रुपयों के नोटों पर रसायन पावडर लगाकर एक लिफाफे में रखे। 10 जून की सुबह सवा दस बजे डीएसपी उदावत के नेतृत्व में दल राजेश के सात दो वाहनों में सवार होकर उज्जैन से आलोट गया था। आलोट रेलवे स्टेशन के पास दोपहर करीब पौन बजे दल ने राजेश को वाहन से उतारकर रुपए का लिफाफा थापक को देने आबकारी कार्यालय भेजा था और दल के सदस्य कार्यालय के आसपास छिप गए थे। राजेश कार्यालय पहुंचा तो वहां थापक व वेयर हाउस प्रबंधक चंद्रपाल मिले थे। राजेश ने रुपयों का लिफाफा थापक को दिया था। थापक ने लिफाफा चंद्रपाल को दे दिया था। चंद्रपाल ने लिफाफा पेंट की जेब में रख लिया था। इसके बाद राजेश ने बाहर जाकर दल को सिर पर हाथ फेरकर इशारा किया था। इशारा मिलते ही दल के सदस्यों ने कार्यालय में पहुंचकर थापक व चंद्रपाल को गिरफ्तार कर रुपए का लिफाफा जब्त किया था। लोकायुक्त ने विवेचना के बाद थापक व चंद्रपाल के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया था। चंद्रपाल को आरोप प्रमाणित नहीं होने पर दोषमुक्त किया गया। प्रकरण में शासन की तरफ से पैरवी उप संचालक अभियोजन एसके जैन ने की।