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यूनियन कैबिनेट की बैठक आज, कईं बड़े बिलों को मिल सकती है मंजूरी

दिल्ली(ईन्यूज एमपी)- सोमवार का दिन कुछ मामलों में बेहद अहम हो सकता है। आज कैबिनेट और आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक संसद भवन की नई इमारत में होने जा रही है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली इस कैबिनेट बैठक में कईं महत्वपूर्ण बिलों को मंजूरी मिल सकती है। इसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को और ताकतवर बनाने के लिए नया संशोधन अधिनियम के अलावा कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल, मोटर व्हीकल अमेंडमेंट बिल और एनआरआई को प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार देने वाला बिल भी शामिल है।

एनआईए को मजबूत बनाने के लिए सरकार दो कानूनों में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। ताकि भारतीयों और विदेश में भारतीयों के हितों के खिलाफ आतंकी कानूनों के तहत जांच की मंजूरी मिल सके।

सूत्रों के अनुसार इसके लिए केंद्रीय कैबिनेट सोमवार को एनआईए एक्ट और गैर कानूनी गतिविधियों (बचाव) अधिनियम में संशोधन को पेश करेगी। इसके बाद संशोधन बिल चालू मानसून सत्र में इसी हफ्ते पेश भी कर दिया जाएगा। इस संशोधन से एनआईए को साइबर अपराधों और मानव तस्करी से जुड़े मामलों की जांच की भी अनुमति मिल जाएगी।

यूएपीए के अनुच्छेद-4 में संशोधन से एनआईए को उन संदिग्ध आतंकियों के खिलाफ भी सीधी कार्रवाई करने का अधिकार मिल जाएगा जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं। फिलहाल एनआईए केवल घोषित आतंकी संगठनों के खिलाफ ही जांच कर सकता है। उल्लेखनीय है कि मुंबई के आतंकी हमले में 166 लोगों के मारे जाने के बाद वर्ष 2009 में एनआईए का गठन किया गया था।

खबर यह भी है कि इस बिल के अलावा केंद्रीय कैबिनेट एनआरआई की प्रॉक्सी वोटिंग के लिए संसद में नए सिरे से एक बिल पेश करने पर भी विचार करेगी। ऐसा ही एक बिल पिछले महीने 16वीं लोकसभा के भंग होने के साथ खत्म हो चुका है। सरकारी सूत्रों के अनुसार कैबिनेट बैठक में प्रस्तावित इस ताजा बिल पर विचार किया जाएगा। इस विधेयक से भारत में मतदान करने का हक रखने वाले विदेश में रहे रहे भारतीय के लिए एक प्रॉक्सी वोटर को नियुक्त किया जाएगा। वह विदेश में रह रहे भारतीय की ओर से उसके संसदीय या विधानसभा क्षेत्र में मतदान करेगा।

फिलहाल मौजूदा प्रावधानों के तहत विदेश में बसे भारतीय अपने संसदीय क्षेत्रों में जहां वह पंजीकृत हैं खुद आकर मतदान कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय के अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में करीब 3.10 करोड़ एनआरआई रहते हैं। चुनाव आयोग की विशेषज्ञ समिति ने वर्ष 2015 में ही इसका कानूनी खाका कानून मंत्रालय को संशोधन के लिए भेजा था। अनधिकृत आंकड़ों के मुताबिक अत्यधिक विदेशी पूंजी खर्च हो जाने के कारण केवल दस हजार से 12,000 एनआरआई ही भारत आकर मतदान कर पाते हैं।

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