दिल्ली(ईन्यूज एमपी)-पूरे देश में नव वर्ष 2019 का जश्न मनाया जा रहा है. पिछली आधी रात से ही लोग एक- दूसरे को बधाई देने और नए साल के स्वागत में जुटे हैं. 2019 की पहली सुबह कहीं लोगों ने पूजा पाठ और उगते सूर्य को अर्घ्य दे कर अपना काम शुरू किया तो कहीं जश्न मना कर लोगों ने एक दूसरे के साथ खुशियां बांटी. यूपी में 2019 की पहली सुबह प्रयाग के लोगों ने संगम में डुबकी लगाकर नया साल मनाया. प्रयाग अब से कुछ दिनों बाद कुंभ महापर्व की मेजबानी करेगा जहां संगम पर डुबकी लगाने करोड़ों श्रद्धालु दुनिया भर के कोने-कोने से आएंगे. कड़ी सुरक्षा और कोहरे के बीच नए साल की पहली सुबह हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और दोनों के संगम पर डुबकी लगाई. मकर संक्रांति के बाद से इसी संगम पर अर्ध कुंभ की शुरुआत होगी. इस अर्ध कुंभ में 12 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. पूरे प्रयागराज में सजावट और तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भी पिछली आधी रात से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. रात से लेकर सुबह तक लोगों ने मंदिर में माथा टेका और नए साल पर आशीर्वाद लिए. उधर मुंबई के मशहूर सिद्धिविनायक मंदिर में लोगों ने सुबह की आरती में हिस्सा लिया और 2019 की शुभकामनाओं के साथ आशीर्वाद प्राप्त किए. यहां भी रात से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया था. लोग भगवान गणपति की एक झलक पाने के लिए बेताब दिखे. दुनिया भर में नए साल का स्वागत बड़ी धूमधाम, उमंग और उल्लास के साथ किया जाता है. कई देशों में नव वर्ष से जुड़ी अपनी-अपनी परंपराएं हैं. हमारे देश के अलग-अलग राज्यों में भी नववर्ष का स्वागत अलग-अलग तरीके से किया जाता है, लेकिन कई जगह नववर्ष मनाने की परंपराएं और रीति-रिवाज इतने अनोखे हैं कि लोग उनके बारे में जानकर हैरत में पड़ जाते हैं. संभवत: दुनिया भर में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां नववर्ष एक से अधिक बार और अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है. बहरहाल, नया साल मनाने की परंपराएं चाहे कुछ भी हों, सभी का मकसद एक ही है और वह है नववर्ष सुख, शांति और समृद्धि से भरा हो. आइए जानते हैं, भारत के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाया जाता है नववर्ष- -महाराष्ट्र : नववर्ष के शुभ अवसर पर एक सप्ताह पहले ही घरों की छतों पर रेशमी पताका फहराई जाती है. घरों और दफ्तरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है और इस दिन पतंगें उड़ाकर नववर्ष का स्वागत किया जाता है. -बिहार : नववर्ष के मौके पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. गरीब बच्चों को कपड़े और चावल का दान किया जाता है ताकि वर्ष भर घरों में सुख-शांति और समृद्धि बनी रही. - असम : नव वर्ष की यादगार बेला में घर के आंगन में मांडणे (रंगोली) सजाए जाते हैं और दीप या मोमबत्तियां जलाई जाती हैं. गाय को रोटी और गुड़ खिलाया जाता है ताकि नववर्ष हंसी-खुशी के साथ गुजरे. - केरल : नववर्ष के अवसर पर नीम और तुलसी की पत्तियां और गुड़ खाना शुभ माना जाता है. माना जाता है कि इनको खाने से शरीर साल भर तक स्वस्थ बना रहता है. - राजस्थान : नववर्ष के विशेष अवसर पर गुड़ से बने पकवान खाना बहुत शुभ माना जाता है ताकि वर्षभर मुंह से मीठी बोली ही निकलती रहे. - मणिपुर : इस दिन तरह-तरह की आतिशबाजी की जाती है और कई जगहों पर भूत-प्रेतों के पुतले बनाकर भी जलाए जाते हैं ताकि भूत-प्रेत किसी को नुकसान न पहुंचा सकें. - छत्तीसगढ़ : यहां के आदिवासी तरह-तरह के गीत गाकर नव वर्ष का स्वागत करते हैं. इस दिन यहां बच्चों को गोद लेने की प्रथा भी है ताकि वर्ष का प्रत्येक दिन खुशियों से भरा रहे. राज्य के कुछ आदिवासी इलाकों में फसल में महुआ के फूल दिखाई देने पर आदिवासी उत्सव मनाया जाता है, जो उनके नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है. देश के कई अन्य आदिवासी इलाकों में उनके देवी-देवताओं के आराधना पर्वों के हिसाब से नव वर्ष की शुरुआत मानी जाती है. - जम्मू- कश्मीर : नववर्ष के मौके पर अनाथ बच्चों को भरपेट भोजन कराकर नए कपड़े पहनाए जाते हैं और उनके माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारी जाती है ताकि नववर्ष हंसी-खुशी के साथ गुजरे. - नगालैंड : नगा आदिवासी नाग पंचमी के दिन से ही अपने नववर्ष की शुरुआत करते हैं. - पंजाब और हरियाणा : यूं तो आजकल एक जनवरी को ही नववर्ष धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन यहां नई फसल का स्वागत करते हुए नववर्ष बैसाखी के रूप में भी मनाया जाता है.