अहमदाबाद(ईन्यूज़ एमपी)- बुजुर्ग माता-पिता को उस वक्त भारी आघात पहुंचा, जब वे अपने साधु बने बेटे को लेने पहुंचे और बेटे ने घर वापस आने से इनकार कर दिया. दरअसल उनका एकलौता बेटा दिशांत पटेल पिछले तीन साल से अहमदाबाद के भाडज इलाके स्थित इस्कॉन मंदिर में साधु जीवन जी रहा है. दिशांत के पिता रमेशभाई पटेल ओर उनकी पत्नी की यही इच्छा थी कि उनका इंजीनियर बेटा सामाजिक जीवन जिए. दिशांत पढ़ाई में काफी होशियार था और उसने गांधीनगर के धीरूभाई अंबानी संस्थान से बीटेक किया था, लेकिन डिग्री लेने के तुंरत बाद उसने अपना घर छोड़ दिया और इस्कॉन मंदिर में रहने चला गया. पिछले तीन साल से उसके मां-बाप बेटे के लिए बार-बार इस्कॉन मंदिर के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें अगर मिलने दिया जाता है तो कुछ मिनटों के लिए और लोगों की मौजूदगी में. रमेश पटेल का आरोप है कि इस्कॉन मंदिर के लोगों ने उनके बेटे का ब्रेनवॉश किया है. जब दिशांत के माता-पिता इस्कॉन मंदिर पहुंचे तो मंदिर के साधुओं ने उन्हें कह दिया कि दिशांत पुलिस स्टेशन गया है. अब पुलिस के सामने ही बात करेगा. वहीं इस्कॉन मंदिर के प्रवक्ता श्याम चरन प्रभु का कहना है कि हमारे मंदिर में हजारों लोग आते है. कुछ लोग ज्यादा सेवा करना चाहते हैं. वे छोटे बच्चे नहीं है कि उनका ब्रेनवॉश किया जाए. जब दिशांत की और उसके परिवार वालों की मुलाकात पुलिस की मौजूदगी में कराई गई. यहां पर पिता बार-बार बेटे के सामने हाथ जोड़ कर घर वापस चलने की विनती करते रहे. वहीं उसकी मां का अब भी उम्मीद हे कि उसका बेटा उनके आंसू देखकर पिघल जाएगा और उनके साथ घर लौट आएगा. दिशांत का कहना है कि वह अब मंदिर में ही रहना चाहता है. हालांकि वह कई सवालों का जवाब देने से बचता रहा. दिशांत के मुताबिक, मैं मंदिर में ही सेवा करना चाहता हुं. मैं पूरे होशोहवास में मंदिर में समर्पित हुआ हुं. कोई इंसान अगर साधु का जीवन जीना चाहता हे तो उसे जीने देना चाहिए. अब दिशांत के पिता रमेशभाई का कहना है कि बेटे को सिर्फ अपने मूलभूत अधिकार ही दिखाई दे रहे हैं, लेकिन उसे अपने माता-पिता के प्रति फर्ज नहीं दिख रहा है. वहीं, पुलिस भी इस मामले में साफ मान रही है कि दिशांत बालिग है. कानूनन उसपर किसी भी तरह का दबाव नहीं दिया जा सकता. पुलिस इंस्पेक्टर राना के मुताबिक, माता-पिता साधु बन चुके दिशांत को घर ले जाना चाहते थे, लेकिन उसका कहना है कि उसने साधु का जीवन ग्रहण कर लिया है. साथ ही उसन अपनी मर्जी से साधु जीवन स्वीकार करने की बात कही है. परिवार वालो के पास अब कोई कानूनी रास्ता या उम्मीद नहीं बची है. परिवार का कहना है कि अगर कोई अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ मंदिर जाकर साधु बनने का फैसला करता है तो इस्कॉन मंदिर को उन्हें समझाना चाहिए.