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मप्र हाईकोर्ट ने सार्वजनिक नल काटने पर लगाई रोक

जबलपुर(ईन्यूज एमपी )-मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के जरिए सार्वजनिक नल कनेक्शन विच्छेद किए जाने पर रोक लगा दी। इसी के साथ नगर निगम जबलपुर से शपथपत्र पर जवाब मांग लिया। इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजयकुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता ओम जनसहयोग समिति, बिलहरी के अध्यक्ष मंगलराम अहिरवार की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय व मनीष कुमार त्रिवेदी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि नगर निगम पानी की बर्बादी रोकने के लिए बजाए सार्वजनिक नलों में टोंटियां लगवाने के, कनेक्शन विच्छेद करने का कठोर निर्णय भला कैसे ले सकता है? इस तरह शहर में वर्षों से लगे सार्वजनिक नल कनेक्शन काट दिए जाने से गरीब जनता प्यास से त्राहि-त्राहि कर उठेगी।

दरअसल, रिक्शा वाले, भिक्षुक, फुटपाथ पर जीवन-यापन करने वाले, बाहर से आने वाले और राहगीर सार्वजनिक नलों से ही कंठ की प्यास बुझाते हैं। वे इतने सक्षम नहीं हैं कि नगर निगम में टैक्स जमा करके सार्वजनिक नल कनेक्शन ले सकें। जल जीवन है और मौलिक व मानवीय अधिकार भी। मनुष्य और जानवरों को पेयजल की सुविधा से वंचित करना उचित नहीं। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद नगर निगम आयुक्त, कार्यपालन यंत्री, जल विभाग सहित अन्य को नोटिस जारी कर दिए।

पेयजल का दुरुपयोग रोकने कर रहे कार्रवाई- नगर निगम की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह खड़े हुए। उन्होंने स्पष्ट किया कि नगर निगम द्वारा सार्वजनिक नलों की वजह से होने वाली पेयजल की बर्बादी रोकने की मंशा से कनेक्शन विच्छेद करने का निर्णय लिया गया है। इसके स्थान पर घर-घर बेहद कम शुल्क पर नए कनेक्शन लगाने का विकल्प खुला रखा गया है। ऐसे में सार्वजनिक नलों के टोंटीविहीन होने जैसी स्थिति से निजात आवश्यक है।

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