मुंबई (ई न्यूज एमपी)- कमला मिल्स कंपाउंड में स्थित 'वन अबव' पब में हादसे वाली रात जो लोग मौजूद थे, वे सभी किसी न किसी बात की खुशी मनाने, जश्न मनाने आए थे. गुरुवार की रात पब में मौजूद लोगों में एक ही परिवार की 9 महिलाएं भी शामिल थीं, जो नई खरीदी कार का जश्न मनाने आई थीं. अग्निकांड ने इस परिवार के लिए भी इस जश्न को जिंदगी में कभी न भूलने वाले गम में बदल दिया. परिवार की 2 महिलाएं पब में लगी आग की भेंट चढ़ गईं. नई कार का जश्न उनकी जिंदगी का आखिरी जश्न साबित हुआ. हादसे में बच निकलीं महिलाओं की आपबीती दहला देने वाली है और पब के हालात सन्न कर देने वाले. हादसे में बाल-बाल बचीं इसी परिवार की शेफाली धारानी बताती हैं कि उन्हें पब में कहीं भी आग से बचने का कोई उपकरण नजर नहीं आया और न ही वहां ऑक्सिजन की कोई व्यवस्था थी. उनका कहना है कि लाइट जाते ही वहां इतना अंधेरा झा गया था कि अगर आग से बचने के लिए उपकरण हों भी तो नजर न आएं. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को 8 चचेरी बहनें और उनकी दो बेटियां घाटकोपर में अपने एक रिश्तेदार के यहां लंच के लिए इकट्ठा हुई थीं. चचेरी बहनों में 36 वर्षीय तेजल गांधी भी शामिल थीं, जिन्हें उनके पति ने हाल ही में मैरेज एनिवर्सरी पर एक नई कार गिफ्ट की थी. अचानक महिलाओं ने तेजल की नई कार का जश्न मनाने का फैसला किया. तेजल और कविता धारानी भी बेहद खुश थीं और उन्होंने 1अबव पब में जश्न मनाने का सुझाव रखा, जिसे सभी ने मान लिया. लेकिन जश्न की वह रात तेजल और कविता के लिए जिंदगी की आखिरी रात साबित हुई. तेजल की बहन पश्मिना पारीख लंच में तो सबके साथ थीं, लेकिन वह जश्न मनाने पब नहीं गईं. पश्मिना बीते त्रासद भरे दिन को याद करते हुए कहती हैं कि उन्होंने पब जाने से इनकार कर दिया, क्योंकि कमला मिल्स से गोरेगांव स्थित उनका घर काफी दूर पड़ता. पश्मिना बताती हैं, "तेजल हम भाई-बहनों में सबसे छोटी थी. पिता अब तक अपनी बेटी की जली हुई लाश के दृश्य से बाहर नहीं निकल पा रहे." महिलाएं जश्न मनाने रात 9.30 बजे के करीब कमला मिल्स के लिए निकलीं. पब में बैठे उन्हें अभी थोड़ा ही समय बीता था और अभी वे मोमोज खा रही थीं, कि पब में आग लग गई. महिलाएं कुछ ही देर पहले बगल वाले टेबल पर बैठे जिस दंपति से हंस-बोल कर बातें कर रही थीं, वह दंपति भी हादसे की भेंट चढ़ गया. जब आग लगी तो इस ग्रुप की सात महिलाएं तो विभिन्न एग्जिट गेट से बाहर निकलने में सफल रहीं, लेकिन तेजल और कविता भागकर वॉशरूम में घुस गईं. उन्हें लगा था कि पब में करीब-करीब सारे फर्नीचर लकड़ी के हैं, इसलिए वॉशरूम कहीं अधिक सुरक्षित जगह होगी. तेजल की बहन मेघना ठक्कर वहीं किसी तरह रसोई से बाहर निकलने में सफल रहीं. मेघना को जलने से हल्के जख्म आए हैं. कविता के चाचा नेमिश शाह बताते हैं कि उनका परिवार एकदूसरे के काफी करीब था और वे अक्सर इकट्ठा हुआ करते थे. शुक्रवार को भी वे इकट्ठे होकर पार्टी करने वाले थे. उन्होंने कहा कि पबों को लाइसेंस जारी करने से पहले सुरक्षा मानकों की पुख्ता जांच होनी चाहिए. शाह ने बताया, "मेरी भतीजी ने बताया कि पब का एग्जिट डोर इतना संकरा था कि एकबार में सिर्फ एक व्यक्ति ही निकल सकता था. सीढ़ियों पर भी कई जगह सामान रखे हुए थे, जिसके चलते भगदड़ जैसे हालात बन गए थे."