दिल्ली(ई न्यूज एमपी)-उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चल रहे निषेधाज्ञा उल्लंघन के एक मामले को वापस ले लिया है. सरकार करीब 20 हजार नेताओं-जनप्रतिनिधियों से वैसे मुकदमे वापस लेने की तैयारी कर रही है, जो उनपर आंदोलन और धरना-प्रदर्शन के दौरान दर्ज किए गए थे. सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस आड़ में सरकार बीजेपी के दिग्गजों के खिलाफ चल रहे केस भी वापस लेगी. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध पर रोकथाम के लिए योगी सरकार ने 21 दिसंबर को यूपीकोका कानून का बिल विधानसभा में पेश किया था. इस बिल के पेश होने के बीच ही यूपी सरकार ने योगी आदित्यनाथ , केंद्रीय मंत्री, शिव प्रताप शुक्ल, विधायक शीतल पांडेय और 10 अन्य के खिलाफ 1995 के एक निषेधाज्ञा उल्लंघन मामले में धारा188 में लगे केस को वापस लेने का आदेश जारी कर किया. वैसे एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिर्फोम्स (एडीआर) के मुताबिक यूपी सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सहित 20 मंत्री ऐसे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. बीजेपी के कुल 312 विधायकों में से 114 के ऊपर अपराधिक मुकदमे चल रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या इन बीजेपी नेताओं पर लगे मुकदमे भी वापस लिए जाएंगे? बीजेपी के 312 विधायकों में से 114 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें से 83 पर गंभीर आपराधिक केस हैं. सपा के 46 में से 14, बसपा के 19 में से 5, कांग्रेस के 7 में से 1 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. एडीआर के मुताबिक योगी सरकार में मंत्रियों पर दर्ज आपराधिक मामले देखें तो 20 ऐसे मंत्री हैं, जिनपर गंभीर मामले हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 3 मामले दर्ज हैं, जिनमें 7 गंभीर धाराओं और 11 आईपीसी की अन्य धाराओं में हैं. डिप्टी सीएम केशव मौर्य के ऊपर 11 मामले दर्ज हैं. इन मामलों में 15 संगीन धराएं लगी हैं और 38 आईपीसी की अन्य धाराओं में मामले दर्ज हैं. नंदगोपाल नंदी के ऊपर कुल 7 मामले दर्ज हैं, जिनमें से 13 गंभीर धाराएं और 9 आईपीसी की अन्य धाराओं में हैं. इसके अलावा सतपाल सिंह बघेल, दारा सिंह, उपेंद्र, सुरेश कुमार राणा, सूर्य प्रताप शाही, भूपेंद्र, गिरीश चंद्र यादव, मनोहर लाल, ब्रिजेश पाठक, ओम प्रकाश राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य, रीता बहुगुणा जोशी, अनिल, अशुतोष टंडन, धर्मपाल सिंह, सतीषमहाना और नीलकंठ ऐसे मंत्री हैं, जिनके ऊपर आपराधिक और आईपीसी की अन्य धाराओं में मामले दर्ज हैं. अगले विधानसभा सत्र में योगी सरकार करीब 20 हजार लोगों पर से राजनीतिक मुकदमे वापस लेने की तैयारी कर रही है. विपक्ष इसकी मुखालफत कर रहा है. विपक्ष के मुताबिक इसकी आड़ में योगी सरकार अपने उन कार्यकर्ताओं और नेताओं के मुकदमे वापस लेगी, जिनकी वजह से कानून व्यवस्था खराब होती रही है.