जयपुर(ईन्यूज एमपी)-राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल जानलेवा बनती जा रही है. राज्य में रोजाना तीन से चार लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ते हैं, लेकिन सरकार और डॉक्टर अपनी-अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. राजस्थान हाई कोर्ट ने डॉक्टरों को काम पर लौटने को कहा है, लेकिन डॉक्टर नहीं लौट रहे हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों और इंटर्न डॉक्टरों के भी हड़ताल पर जाने की वजह से मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में भी हालात खराब होने लगे हैं. इलाज ना मिलने से 40 से ज्यादा लोगों की मौत राजस्थान के सभी जिला मुख्यालयों के बड़े अस्पताल सूने पड़े हैं. ग्रामीण इलाकों में जहां पर निजी अस्पतालों की सुविधा नहीं है, मरीज मारे-मारे फिर रहे है. जयपुर, उदयपुर, जोधपुर जैसे राज्य के बड़े अस्पतालों में भी जहां 4 से 5 हजार ऑपरेशन रोज होते थे, वहां मुश्किल से 15 से 20 ऑपरेशन हो रहे हैं. गंभीर रोगों से पीड़ित लोग इलाज के लिए राज्य के बाहर जा रहे हैं. जब से हड़ताल हुई है तब से अजमेर में 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि 15 से 20 मौतें 1 सप्ताह में हो जाती हैं. जेल में बंद हैं 70 डॉक्टर सबसे बड़ी बात है कि हड़ताल खत्म होने की कोई आशा नहीं दिख रही है. डॉक्टरों का कहना है कि सरकार अपनी दमनकारी नीति पर कायम है. डॉक्टरों को पकड़-पकड़ कर जेल में डाला जा रहा है. राज्य में चिकित्सक पेशे पर रेस्मा लागू कर दिया गया है. सारे डॉक्टर डर से भूमिगत हो गए हैं. करीब 70 डॉक्टर जेल में बंद हैं. सेना के डॉक्टरों की ली जा रही मदद उधर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ ने कहा है कि डॉक्टरों के साथ नवंबर में हुए समझौते के सभी 12 मांगें सरकार ने मान ली हैं, लेकिन डॉक्टर जिद पर अड़े हैं कि अपने नेता डॉक्टरों के ट्रांसफर रद्द किए जाएं. हाई कोर्ट ने भी इनके ट्रांसफर को सही ठहराया है. राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए सेना, बीएसएफ और रेलवे के डॉक्टरों की मदद ली जा रही है. सीनियर डॉक्टर भी अपनी सेवा दे रहे हैं.