दिल्ली. 2जी स्पैक्ट्रम घोटाला मामले में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने पूर्व मंत्री ए. राजा और डीएमके नेता कनिमोझी समेत 44 आरोपियों और कई कंपनियों को बरी कर दिया। दो मामले सीबीआई के थे तो एक मामला एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने दायर किया था। जज ने फैसले में कहा, "प्रॉसिक्यूशन कोई भी आरोप साबित करने में नाकाम रहा। लिहाजा सभी को बरी किया जाता है।'' एक लाख 76 हजार करोड़ के इस घोटाले में यूपीए सरकार में टेलीकॉम मिनिस्टर रहे ए. राजा और डीएमके नेता कनिमोझी मुख्य आरोपी थे। 2010 में कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) रहे विनोद राय की रिपोर्ट में घोटाले का खुलासा हुआ था। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला: आरोपी बरी तो भड़के लोग - सभी नेता धुले हुए असली मुजरिम आम जनता सीबीआई ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया - स्वान टेलीकॉम के वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि प्रॉसिक्यूशन आरोप साबित करने में नाकाम रहा। सीबीआई ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया था। लॉस दिखाया गया था लेकिन असल में कोई नुकसान हुआ ही नहीं। लिहाजा सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। - राजा के वकील मनु शर्मा ने कहा, "किसी भी बड़े मुकदमे में वक्त लगता है लेकिन सच्चाई सामने आ गई।'' - "मुकदमा चला तो कोई एविडेंस नहीं दिया गया। क्रिमिनल कोर्ट की अप्रोच के हिसाब से ये मुकदमा नहीं बनता।'' देश से माफी मांगें - कपिल सिब्बल ने कहा, "मेरी जीरो लॉस वाली बात सही साबित हुई। मैं कभी अपने बयान से नहीं पलटता। हम बेबुनियाद बातें नहीं करते। ये सब बीजेपी करती है। तब विपक्ष ने देश को गलत जानकारी दी। काफी हंगामा किया। आरोप लगाने वालों (विनोद राय) को देश से माफी मांगनी चाहिए।'' - चिदंबरम ने कहा, "कोर्ट के फैसले से साबित हो गया कि हमारी सरकार पर जो आरोप लगाए गए थे वो झूठे साबित हुए।'' एेसे समझें मामला कब सामने आया था? 2010 में कैग रहे विनोद राय की रिपोर्ट से घोटाला सामने आया था। ट्रायल कब शुरू हुआ? 2जी मामले में ट्रायल 6 साल पहले 2011 में शुरू हुआ था। कोर्ट ने 17 आरोपियों के चार्ज तय किए थे। CAG की रिपोर्ट में क्या था? - इसमें कहा गया कि 2जी स्पैक्ट्रम के अलॉटमेंट के लिए नीलामी नहीं की गई, इससे देश का नुकसान हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया? - सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन में पद के दुरुपयोग की बात कही। फरवरी, 2012 में 122 लाइसेंस रद्द कर दिए। सीबीआई कोर्ट ने क्या फैसला दिया? - 21 दिसंबर को सीबीआई कोर्ट ने 2जी केस में राजा-कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। सीबीआई का क्या आरोप था? 2जी घोटाले से सरकारी खजाने में 30 हजार 984 करोड़ का नुकसान हुआ। केस में कुल कितने आरोपी थे? 44 आरोपियों समेत कई कंपनियां। सीबीआई की चार्जशीट में क्या कहा गया था? - 2011 में राजा-कनिमोझी और अन्य आरोपियों पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने, घूस लेने और पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया। किसने सुनाया फैसला? सीबीआई के स्पेशल जज ओपी सैनी। 2जी केस के लिए सीबीआई का स्पेशल कोर्ट 14 मार्च 2011 को बनी थी। सीबीआई ने पहली बार FIR कब दायर की थी? - सीबीआई ने 21 अक्टूबर, 2009 को शुरुआती एफआईआर दायर डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के अज्ञात अफसरों के खिलाफ दायर की थी। - अप्रैल, 2011 ने सीबीआई ने चार्जशीट दायर कर कहा कि राजा और अन्य ने देश को 30 हजार 984 करोड़ का नुकसान कराया। - 12 दिसंबर, 2011 को दायर चार्जशीट में कहा कि अफसरों ने 2008 में 2जी लाइसेंस देने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के साथ धोखाधड़ी की। कौन से तीन केस और किसने दायर किए? - पहला केस सीबीआई ने दायर किया। इसमें 19 को आरोपी बनाया गया - दूसरा केस ED ने दायर किया। इसमें 17 को आरोपी बनाया गया। ईडी ने 200 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग की बात कही। - तीसरा केस सीबीआई ने दायर किया। इसमें एस्सार प्रमोटर्स समेत 8 लोगों को आरोपी बनाया गया। कौन-कौन थे मुख्य आरोपी? - ए. राजा, कनिमोझी, पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के प्राइवेट सेक्रेटरी आरके चंदोलिया, स्वान के टेलीकॉम प्रमोटर्स शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका, यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी के 3 टॉप एग्जीक्यूटिव- गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरि नायर। - कूसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रा. लि. के डायरेक्टर्स आसिफ बलवा-राजीव अग्रवाल, कलाइगनार टीवी के डायरेक्टर शरद कुमार और बॉलीवुड प्रोड्यूसर करीम मोरानी। - एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि-अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान, उनके पति आईपी खेतान और एस्सार ग्रुप के डायरेक्टर विकास श्रॉफ। - लूप टेलीकॉम लिमिटेड, लूप इंडिया मोबाइल लिमिटेड और एस्सार टेली होल्डिंग लिमिटेड कंपनियां भी आरोपी थीं। - ईडी की चार्जशीट में करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्मल को भी आरोपी बनाया गया था। आरोप था कि स्वान टेलीकॉम ने डीएमके के मालिकाना हक वाले कलाइगनार टीवी को 200 करोड़ दिए थे। क्या है 2जी घोटाला? - 2010 में आई कैग की रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पैक्ट्रम पर सवाल उठाए गए थे। इसमें बताया गया था कि स्पैक्ट्रम की नीलामी के बजाए 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर इसका अलॉटमेंट किया गया था। बताया गया कि इससे सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ। - ये भी बताया गया था कि नीलामी के आधार पर लाइसेंस बांटे जाते तो यह रकम सरकार के खजाने में जाती। - दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले में स्पेशल कोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा था। - 2011 में पहली बार स्पैक्ट्रम घोटाला सामने आने के बाद अदालत ने इसमें 17 आरोपियों को शुरुआती दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई थी।