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सीधी में राशन की गड़बड़ी या लापरवाही? आदिवासी क्षेत्रों की 23 उचित मूल्य दुकानों में नहीं पहुंचा अनाज

सीधी (ईन्यूज़ एमपी): कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की गड़बड़ी को लेकर बड़ा कदम उठाया है। जिले में शासकीय उचित मूल्य दुकानों में खाद्यान्न भंडारण न होने के मामले ने सनसनी फैला दी है। कलेक्टर ने जिला प्रबंधक, मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड और केंद्र प्रभारी, मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन लिमिटेड मझौली को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा है।

इस नोटिस में सख्त लहजे में कहा गया है कि अगर जवाब नहीं दिया गया तो संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक और वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। मामला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की 23 दुकानों सहित कुल 36 उचित मूल्य दुकानों में खाद्यान्न भंडारण न होने से जुड़ा है, जिससे दिसंबर 2024 के लिए अनाज वितरण बाधित हुआ।

12 दिसंबर 2024 की रिपोर्ट में कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी कुसमी/मझौली ने खुलासा किया कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित 23 उचित मूल्य दुकानों सहित 36 दुकानों में अनाज का भंडारण नहीं हुआ। इससे हजारों गरीब और आदिवासी परिवारों को राशन नहीं मिल पाया। यह लापरवाही सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर बड़ा असर डाल सकती है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन दुकानों में अनाज पहुंचा क्यों नहीं? क्या इसमें प्रबंधकीय स्तर पर लापरवाही हुई, या कोई और बड़ी गड़बड़ी छिपी है? आदिवासी क्षेत्रों में भंडारण न होने से संदेह गहराता जा रहा है।

नोटिस के बाद संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही है। ऐसे मामलों में अक्सर बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का पर्दाफाश होता है। सवाल यह भी उठता है कि कलेक्टर की सख्ती के बाद क्या जिले की सार्वजनिक वितरण प्रणाली सुधरेगी, या यह मामला भी जांचों के पन्नों में दफन हो जाएगा?

आदिवासी क्षेत्रों में राशन की अनुपलब्धता ने सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह सिर्फ लापरवाही है, या गरीबों का हक मारने की कोई सोची-समझी साजिश? अब सबकी नजरें तीन दिनों के भीतर आने वाले जवाब और कलेक्टर की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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