सीधी( ईन्यूज एमपी) --- भारत में गुरु शिष्य परंपरा की महिमा युगों से जानी जाती है। गुरु अपने शिष्यों को तरास कर उनका आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नयन कर उन्हें मनुष्य जीवन में जीने का गुण सिखाते है। इस वर्ष प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस सीधी में सेवानिवृत्ति प्राध्यापक डॉ उदय पाल सिंह के मुख्य आतिथ्य में एवं भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के संयोजक एवं प्रभारी प्राचार्य डॉ रामनारायण स्वर्णकार की अध्यक्षता में सेवा निवृत प्राध्यापक डॉ संतोष सिंह चौहान, डॉ अमर प्रकाश गुप्ता एवं डॉ शांति साकेत के विशिष्ट आतिथ्य में शिक्षक दिवस का आयोजन महाविद्यालय के सभागार में संपन्न हुआ। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के भारतीय परंपरा के क्रम में सर्वप्रथम मां सरस्वती एवं राधाकृष्णन के छायाचित्र की सम्मुख दीप प्रज्वलित कर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण किया गया। इस उत्साह पूर्वक आयोजन में मुख्य अतिथि डॉ उदय पाल सिंह ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन गरिमा पूर्ण ढंग से होना चाहिए। गुरु का सम्मान करके ही शिष्य अपने मूल्यवान लक्षण को प्राप्त कर सकता है। डॉ संतोष सिंह चौहान ने अपनी उद्बोधन में भारतीय गुरु और शिष्यों की परंपरा को रेखांकित करते हुए वर्तमान समय में गुरुओं को सचेत होकर शिष्यों को शिक्षित करने का आवाहन किया। डॉ अमर प्रकाश गुप्ता ने कहा कि कॉलेज में इस तरह का आयोजन शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में हर वर्ष होना चाहिए। इससे गुरु और शिष्य के बीच गहन जुड़ाव पैदा होता है और एक दूसरे को समझने में मदद मिलती है। आयोजन में सेवानिवृत्ति अध्यापिका डॉ शांति साकेत ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक गुरु जरूर बना लेना चाहिए। गुरु इस भवसागर से पार करने का उपाय बताता है। इस अवसर पर डॉ अनिल सिंह ने डॉ राधाकृष्णन के जीवन के मूल्यवान आध्यात्मिक योगदान को रेखांकित करने के साथ ही जोर देकर कहा कि जीवन आग का दरिया है उसमें कैसे तैरना है उसे कैसे पार करना है इसका ज्ञान बिना योग्य गुरु के संभव नहीं है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सच्चा गुरु ही जीवन में प्रकाश का संचार करता है। डॉ अरविंद त्रिपाठी ने गुरु की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मैं आज जो कुछ भी हूं अपने गुरुओं के आशीर्वाद के बदौलत हूं। सतगुरु की शरण में रहने से कभी जीवन में निराश नहीं मिलती। इसी क्रम में डॉ अखिलेश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस तरह की आयोजन महाविद्यालय में हर वर्ष होना चाहिए। शिक्षक दिवस समारोह के इस अवसर पर प्राचार्य का दायित्व निर्वहन करने वाले प्रभारी प्राचार्य डॉ रामनारायण स्वर्णकार ने अपने विचार व उद्बोधन में मंच और सभागार को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपने मुख्य अतिथि एवं अतिथियों को पाकर गौरवान्वित है। उन्होंने गुरुओं का जीवन में विशेष महत्व है इस बात को रेखांकित करते हुए छात्र-छात्राओं का आवाहन किया। इसके बाद प्रभारी प्राचार्य के द्वारा अतिथियों को शाल श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ विनोद साकेत ने मंच का कुशल संचालन करते हुए आभार व्यक्त किया। डॉ भोला सिंह कुशराम, डॉ नागेंद्र सिंह, डॉ राजेश विश्वकर्मा, डॉ विभा कुशवाहा, डॉ कोमल पाण्डेय, डॉ रितु साहू, डॉ आशुतोष पाण्डेय, डॉ अर्चना सिंह, डॉ अमित कश्यप एवं महाविद्यालय के अन्य अधिकारी कर्मचारी एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में यह आयोजन अनुकरणीय बन सका है।