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सत्ता में वापसी की खातिर भाजपा ने किया उम्र सीमा से समझौता, कर्नाटक से लिया सबक

भोपाल (ईन्यूज एमपी)-भाजपा ने कर्नाटक में युवा चेहरों को प्रत्याशी बनाकर जो हार झेली है, उससे मध्य प्रदेश चुनाव में सबक लिया है। पार्टी ने पांचवीं बार सत्ता में वापसी के लिए उम्रदराज नेताओं को भी बड़ी संख्या में मैदान में उतारा है। 14 नेताओं की उम्र तो 70 पार है। वहीं, कांग्रेस ने नौ प्रत्याशी 70 पार हैं।

प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले मतदान में अब मात्र चार दिन शेष हैं और भाजपा इसमें जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पीएम मोदी स्वयं जबर्दस्त दौरे और रोड शो के जरिए अपनी पार्टी को जीत दिलाने में जुटे हैं। पार्टी ने प्रदेश की 230 सीटों पर तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों और एक पार्टी महासचिव को मैदान में उतारा है, ताकि सत्ता विरोधी लहर का विफल किया जा सके। प्रदेश में पांचवीं बार सरकार बनाने के इरादे से पार्टी ने नई पीढ़ी को आगे लाने व बुजुर्ग नेताओं को रिटायर करने की अपनी नीति को भी इस बार थोड़ा शिथिल किया है, वहीं कांग्रेस भी सत्ता में वापसी के लिए जी जान से जुटी है और आक्रामक ढंग से प्रचार कर रही है। पार्टी के कई दिग्गज नेता प्रचार के अंतिम चरण में सघन दौरे कर रहे हैं।


राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार भाजपा ने उम्र सीमा से समझौते का फैसला कर्नाटक चुनाव में पार्टी का मिली हार के कारण लिया है। कर्नाटक में वरिष्ठ व बुजुर्ग नेताओं के बजाए बूढे नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी थी। यहां तक कि पार्टी ने पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार (67) और पूर्व उप मुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा (74) को भी टिकट नहीं दिया था। इसे पार्टी की पराजय का बड़ा कारण माना गया था।

80 साल के नागौद को भी दिया टिकट
कर्नाटक जैसी गलती मप्र में न हो इसलिए भाजपा ने सतना जिले की नागौद सीट से पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह नागौद (80) को और रीवा जिले के गुढ़ सीट से नागेंद्र सिंह (79) को मैदान में उतारा है। गुढ़ सीट पर आप ने प्रखर प्रताप सिंह को टिकट दिया है, जो अमेरिका में बड़ी नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ रहे हैं। 25 वर्ष के प्रखर प्रदेश चुनाव में सबसे युवा प्रत्याशी हैं।

नागौद और नागेंद्र सिंह ने पांच माह पहले ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था, इसके बाद भी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है।

भाजपा ने मप्र के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया (76) को दमोह से और 75 साल के जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को अशोक नगर जिले की चंदेरी सीट से टिकट दिया है। वहीं, पूर्व स्पीकर सीताशरण शर्मा (73) को नर्मदापुरम से प्रत्याशी बनाया है। जबकि 73 साल के बिसाहूलाल सिंह को अनूपपुर सीट से तो 73 साल की माया सिंह को ग्वालियर पूर्व से टिकट दिया है।

भाजपा के ये बुजर्ग प्रत्याशी भी मैदान में
प्रत्याशी उम्र विस क्षेत्र
हजारीलाल दांगी 72 खिलचीपुर, राजगढ़
प्रेम शंकर वर्मा 72 सिवनी मालवा, नर्मदापुरम
जय सिंह मरावी 71 जैतपुर, शहडोल
गोपाल भार्गव 71 रहली, सागर।
अजय विश्वनोई 71 पाटन, जबलपुर
दुर्गालाल विजय 71 श्योपुर
गौरीशंकर बिसेन 71 बालाघाट

76 साल के सरताज सिंह को उम्र
ज्यादा होने से पार्टी से निकाला था
बता दें, 2016 में भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद सरताज सिंह को उम्र ज्यादा होने के चलते ही शिवराज सरकार से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इतना ही नहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में सिंह को टिकट से भी वंचित रखा था, तब वे 78 वर्ष के थे। हालांकि, इसके बाद उन्होंने भाजपा छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वे होशंगाबाद सीट से चुनाव लड़े, लेकिन पराजित हो गए थे।

कुसुम मेहदले को नहीं दिया टिकट
भाजपा ने सरताज सिंह की तरह ही पूर्व मंत्री कुसुम मेहदले को भी टिकट नहीं दिया था। अब वे 80 साल की हैं। भाजपा कांग्रेस पर थके व बूढ़े ताओं को टिकट देने का आरोप लगा रही है, जबकि कांग्रेस ने सिर्फ 70 से ज्यादा उम्र के सिर्फ 9 प्रत्याशियों को टिकट दिया है।

कांग्रेस के नाहटा सबसे बुजुर्ग प्रत्याशी
कांग्रेस के सबसे बुजुर्ग प्रत्याशी 77 वर्ष के हैं। पार्टी ने 77 वर्ष के नरेंद्र नाहटा को नीमच जिले की मनासा सीट से टिकट दिया है। दूसरे नंबर पर पूर्व सीएम व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ हैं, जो 76 वर्ष के होकर छिंदवाड़ा से मैदान में हैं। इसी तरह कांग्रेस ने धार जिले की बदनावर सीट से 73 साल के भंवरसिंह शेखावत, अमर पाटन से राजेंद्र कुमार सिंह, होशंगाबाद से 73 साल के गिरिजाशंकर शर्मा, 72 साल के गोविंद सिंह को भिंड के लहार से, इसी उम्र के बैजनाथ सिंह यादव को शिवपुरी के कोलारस से, 71 साल के सज्जन सिंह वर्मा को सोनकच्छ देवास से और उनके हम उम्र सुभाष सिंह सोजतिया को गरोठ से मैदान में उतारा है।

उम्र के चलते ही रिटायर हुए थे आडवाणी-जोशी
मप्र चुनाव में भाजपा द्वारा बूढ़े नेताओं को टिकट देने से कई लोग हैरान हैं। याद रहे कि अप्रैल 2019 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि पार्टी ने फैसला किया है कि 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को लोकसभा टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके बाद ही वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी को घर बिठा दिया गया था।

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