मैहर(ईन्यूज एमपी)- मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने शुक्रवार को विधानसभा और BJP की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को इस्तीफा भेजा है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को भी त्यागपत्र भेजा है। अब आगे देखना होगा की इनकी आगे की राजनीती क्या होगी | मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अब तक उम्मीदवारों की चार लिस्ट जारी कर दी है। अभी तक भाजपा ने 136 कैंडिडेट को चुनावी मैदान में उतारा है। ऐसे में भाजपा नेता और मैहर विधानसभा सीट से विधायक नारायण त्रिपाठी ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। नारायण त्रिपाठी ने भाजपा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। प्रदेश की सियासत में अक्सर सुर्खियों में बने रहने वाले मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने आखिर भाजपा से नाता तोड़ ही लिया । नारायण ने भाजपा छोड़ दी है और अब उनके वापस कांग्रेस का हाथ थामने की अटकलें तेज हो गई हैं। मैहर क्षेत्र से चार बार विधायक रह चुके नारायण त्रिपाठी ने भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को भेजे मात्र तीन लाइन के अपने इस्तीफे में नारायण ने पार्टी छोड़ने किसी वजह का उल्लेख नहीं किया है। हालांकि ये अटकलें पहले से ही लगाई जा रहीं थी कि नारायण का आगे का राजनैतिक सफर अब भाजपा के साथ नहीं होगा। भाजपा भी यह मान और जान चुकी थी शायद इसी वजह से पार्टी ने अपने दो बार के विधायक नारायण का टिकट काट कर इस बार मैहर से उन्हीं श्रीकांत चतुर्वेदी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। जिन्हें वर्ष 2018 में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर नारायण ने हराया था। नारायण के भाजपा छोड़ने के बाद अब उनके वापस कांग्रेस जॉइन करने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि नारायण ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन उनके करीबियों का कहना है कि नवरात्रि शुरू होते ही वे नया कदम उठाएंगे। माना जा रहा है कि नारायण 15 अक्टूबर को कांग्रेस की सदस्यता ले सकते हैं, वे 16 अक्टूबर को मैहर भी पहुंचने वाले हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2013 में नारायण कांग्रेस से विधायक निर्वाचित हुए थे लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त उन्होंने भाजपा का समर्थन कर दिया था। बाद में उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और 2016 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर जीत हासिल की। भाजपा ने 2018 में भी नारायण को उम्मीदवार बनाया। तब भी उन्होंने जीत हासिल की थी। लेकिन इस कार्यकाल में उनके तेवर कुछ बदले बदले से रहे। तब के सीएम कमलनाथ से उनकी नजदीकियां बढ़ी लेकिन तख्ता पलट के वक्त भी वो भाजपा के ही साथ बने रहे। उन्होंने विंध्य प्रदेश के पुनरोदय की मांग उठाई और मैहर को जिला बनाये जाने के मुद्दे पर आक्रामक तेवर दिखाए। पांच वर्षों में नारायण ने सीएम से लेकर पीएम तक को तमाम मुद्दों पर पत्र लिखने का सिलसिला जारी रखा। कई मामलो में उन्होंने भाजपा विधायक होते हुए भी अपनी ही पार्टी की सरकार को भी घेरा नतीजतन उनकी छवि बागी की बन गई। विंध्य प्रदेश के पुनर्गठन की मांग को लेकर नारायण त्रिपाठी ने अपनी अलग पार्टी विंध्य जनता पार्टी (VJP) भी बना रखी है। उन्होंने ऐलान किया था कि अगर उनकी मांग का समर्थन कर विंध्य को उसका हक नहीं लौटाया जाता तो उनकी पार्टी 30 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी और चुनाव लड़ेगी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस चुनाव में उनकी पार्टी वाकई मैदान में आएगी या नहीं?