भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मध्यप्रदेश विधानसभा में बुधवार को सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 का तृतीय अनुपूरक बजट पेश किया। इसमें 16 हजार करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने तीसरा अनुपूरक बजट पेश किया, इस पर चर्चा के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने गुरुवार को 16 मार्च की तारीख तय की है। विधानसभा के बजट सत्र में बुधवार को वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने तीसरा अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया। यह बजट कुल 16 हजार 329 रुपए के इस बजट में बिजली अनुदान की योजनाओं के लिए छह हजार 648 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए एक हजार 13 करोड़ और एक हजार करोड़ 324 रुपए फसल बीमा योजना के लिए रखे गए हैं। इसके अलावा नर्मदाघाटी विकास विभाग के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के लिए 976, सीएम जन कल्याण संबल योजना के लिए 636 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के अंतर्गत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 13 हजार 24 करोड़ का प्रावधान। श्रम विभाग के अंतर्गत मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल) योजना के लिए 636 करोड़ का प्रावधान। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अंतर्गत हाउसिंग फार आल के लिए 642 करोड़ का प्रावधान। अटल मिशन फार रिजुवेनेशन एंड अर्बुन ट्रांसफार्मेशन (अमृत 2.0) के लिए 387 करोड़। जल संसाधन विभाग के अंतर्गत योजनाओं के लिए 300 करोड़ का प्रावधान। सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग के अंतर्गत सामाजिक सुरक्षा और कल्याण विभाग के लिए 177 करोड़ का प्रावधान। जन संपर्क विभाग को योजनाओं के लिए 82 करोड़। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के अंतर्गत 550 करोड़ का प्रावधान। पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक विभाग के अंतर्गत 11वीं, 2वीं एवं कॉलेजों की छात्रवृत्ति योजना के लिए 100 करोड़ का प्रावधान। तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार विभाग के अंतर्गत मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के लिए 50 करोड़ का प्रावधान। सामान्य या वार्षिक बजट पूरे वित्त वर्ष के लिए पेश किया जाता है, लेकिन साल के बीच में अनुपूरक बजट पेश करना संवैधानिक परिपाटी है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक सरकार अक्सर चुनाव से पहले इस तरह का अनुपूरक बजट प्रस्तुत करती है। इस खर्च का पहले से अनुमान नहीं होता है अथवा आपातकालीन खर्च या फिर परिस्थितियों के मुताबिक खर्च जैसे कोविड के लिए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर आदि खर्चों के लिए विभागों से मांग-पत्र लिया जाता है। अनुपूरक बजट मुख्य रूप से राज्य सरकार विपरीत परिस्थितियों में ही पेश करती है। इसका मतलब यह है कि जब किसी विभाग को बजट सत्र में आवंटित की गई धनराशि कम पड़ जाती है तो ऐसे में राज्य सरकार वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले ही अनुपूरक बजट विधानसभा में ले आती है। हालांकि अनुपूरक बजट में यह ध्यान रखा जाता है कि जो बजट राशि का प्रावधान किया है, वो किन स्रोतों से राजस्व के रूप में सरकार को वापस मिलेगी।