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आगंतुकों और वरिष्ठ मंत्रियों की खींचतान में अटका विभागों का बंटवारा,आज हो सकता है निपटारा.....

भोपाल (ईन्यूज एमपी)- मंत्रियों में विभागों के बंटवारे की माथापच्ची पूरी कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार सुबह दिल्ली से भोपाल लौट आए। उम्मीद की जा रही थी कि वापसी के साथ ही वे अपने मंत्रियों को विभाग बांट देंगे, लेकिन उन्होंने बंटवारे को एक दिन और टाल दिया। स्टेट हैंगर पर उतरते ही मुख्यमंत्री ने मीडिया से मंत्रियों में विभागों के बंटवारेपर अभी एक दिन और काम करने की बात कही। इसके बाद दोपहर में उन्होंने प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा व संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ करीब 40 मिनट इसी मुद्दे पर मंथन किया।

बताया जाता है मुख्यमंत्री ने दिल्ली से मिली गाइडलाइन से दोनों को अवगत करा दिया है और अब बुधवार को विभागों को बंटवारा तय माना जा रहा है। मंत्रियों के बीच विभाग के बंटवारे को लेकर पिछले पांच दिनों से मंथन का सिलसिला चल रहा है।

रविवार और सोमवार को मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे, राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं से विभाग बंटवारे के मुद्दे पर मंथन किया।

बताया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कोटे के मंत्रियों के लिए बड़े माने जाने वाले विभाग मांगे जा रहे हैं। दरअसल, 24 विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर सिंधिया अपने समर्थक मंत्रियों को बड़े विभाग दिलाना चाहते हैं ताकि क्षेत्र में सकारात्मक संदेश जाए। इससे केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री भी सहमत हैं पर वरिष्ठ मंत्रियों की अनदेखी भी न हो, इसके लिए संतुलन बनाने की कवायद की जा रही है।


बताया जा रहा है कि मामला नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, राजस्व, महिला एवं बाल विकास, परिवहन, वाणिज्यिक कर, लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, स्कूल शिक्षा, उद्योग और जल संसाधन विभाग को लेकर फंस रहा था। मुख्यमंत्री इनमें से कुछ विभाग नए मंत्रियों को देने पर तो सहमत हैं, लेकिन कुछ विभाग वरिष्ठ मंत्रियों (गोपाल भार्गव, जगदीश देवड़ा, विजय शाह, भूपेंद्र सिंह, यशोधराराजे सिंधिया) को देना चाहते हैं, ताकि संतुलन बना रहे।

वैसे भी सियासी समीकरणों के चलते कुछ वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल पाया, जिसे लेकर असंतोष भी सतह पर आ चुका है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने दो दिन दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं के साथ सभी पहलुओं पर चर्चा की।

सूत्रों के मुताबिक, दो दिन के मंथन के बाद विभागों के बंटवारे की रणनीति तय हो चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ मुख्यमंत्री के बैठक के बाद संभावना जताई जा रही है कि बुधवार को विभागों का बंटवार हो जाएगा।


पांच मंत्रियों (डॉ. नरोत्तम मिश्रा, तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, कमल पटेल और मीना सिंह) में से कुछ के विभागों में भी परिवर्तन किया जा सकता है। कुछ राज्यमंत्रियों को विभागों का स्वतंत्र प्रभार भी दिया जा सकता है।

चुनावी समीकरणों पर भी ध्यान

सूत्रों का कहना है कि जिस तरह मंत्रिमंडल विस्तार में 24 विधानसभा के उपचुनाव के समीकरणों को ध्यान में रखा गया, ठीक वैसा ही विभागों के बंटवारे को लेकर भी हो रहा है। बताया जा रहा है कि आमजन से सीधा सरोकार रखने वाले विभागों को मुख्यमंत्री ऐसे मंत्रियों के पास रखना चाहते हैं, जिनके पास उपचुनाव जैसी परिस्थिति में काम करने और कराने का पूर्व अनुभव हो। चाहे गृह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, नगरीय विकास हो या फिर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, इनका सीधा वास्ता चुनावी जमावट से रहता है।


16 विधायक पहली बार बने हैं मंत्री

मंत्रिमंडल में 16 नेता तो ऐसे हैं जिन्हें मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने का पूर्व अनुभव नहीं है। इनमें आठ (एदल सिंह कंषाना, प्रेम सिंह पटेल, ओमप्रकाश सकलेचा, उषा ठाकुर, अरविंद भदौरिया, डॉ. मोहन यादव, हरदीप सिंह डंग, राजवर्द्धन सिंह) कैबिनेट और आठ (भारत सिंह कुशवाहा, इंदर सिंह परमार, रामखेलावन पटेल, रामकिशोर कावरे, बृजेंद्र सिंह यादव, गिर्राज डंडौतिया, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया) राज्यमंत्री बनाए गए हैं।

विभागों में कामकाज हो रहा है प्रभावित

सूत्रों का कहना है कि विभागों का बंटवारे में लग रहे समय का असर कामकाज पर भी पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों ने मंत्रियों को कभी भी विभाग आवंटित होने की स्थिति को देखते हुए प्रशासकीय निर्णय के लिए फाइलें फिलहाल मुख्यमंत्री समन्वय में भेजना बंद कर दिया है।

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