enewsmp.com
Home मध्य प्रदेश फिर मिलेगा महापौर व अध्यक्ष को वापस बुलाने का अधिकार.....

फिर मिलेगा महापौर व अध्यक्ष को वापस बुलाने का अधिकार.....

भोपाल (ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश की जनता को एक बार फिर नगर निगमों के महापौरों और नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्षों को वापस बुलाने का अधिकार मिलेगा। तीन चौथाई पार्षदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने और उसे विधिसम्मत पाए जाने पर राज्य निर्वाचन आयोग 'खाली कुर्सी, भरी कुर्सी' का चुनाव कराएगा। इसमें खाली कुर्सी के पक्ष में अधिक मतदान होता है तो फिर महापौर या अध्यक्ष को कुर्सी छोड़नी पड़ेगी।

पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार ने नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर इस प्रावधान को समाप्त कर दिया था। शिवराज सरकार ने फिर से इसमें संशोधन कर व्यवस्था को लागू करने की मंजूरी दे दी है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के नगर निगम के महापौर और नगर पालिका तथा नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के माध्यम से कराने की व्यवस्था लागू की थी। इसके साथ ही जनता को मिला वह अधिकार भी छिन गया था, जिसमें उसे महापौर और अध्यक्ष को वापस बुलाने का अधिकार मिला था।

हालांकि इससे पहले दिग्विजय सरकार ने नगर निगम अधिनियम-1956 में बदलाव कर राइट-टू-रिकॉल के माध्यम से पार्षदों को यह अधिकार दिया था कि वे आर्थिक अनियमितता सहित अन्य आरोपों के चलते महापौर या अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास ला सकते हैं। कमल नाथ सरकार ने यह व्यवस्था लागू कर दी थी कि पार्षदों को महापौर या अध्यक्ष के प्रति अविश्वास हो तो वे अपने में से ही किसी दूसरे व्यक्ति को चुन सकते हैं। विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने कमल नाथ सरकार की इस व्यवस्था का विरोध किया था।
राज्यपाल लालजी टंडन को ज्ञापन देकर अध्यादेश को मंजूरी नहीं देने की मांग भी की थी। राज्यपाल ने कुछ दिन के लिए प्रस्ताव रोक भी लिया था, लेकिन बाद में इसे अनुमति दे दी थी।

ऐसी रहती है प्रक्रिया

कलेक्टर यदि तीन चौथाई पार्षदों के माध्यम से प्राप्त प्रस्ताव को परीक्षण में विधिसम्मत पाता है तो शासन को महापौर या अध्यक्ष को वापस बुलाने के लिए चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है। -शासन के प्रस्ताव पर राज्य निर्वाचन आयोग 'खाली कुर्सी, भरी कुर्सी ' का चुनाव कराता है। -यदि खाली कुर्सी के पक्ष में जनता मतदान करती है तो संबंधित को पद छोड़ना पड़ता है। -महापौर या अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव उनके कार्यरत रहने के दो साल बाद और छह माह शेष रहने से पहले लाया जा सकता है।

नगरीय विकास विभाग ने तैयार किया प्रारूप सत्ता परिवर्तन के बाद शिवराज सरकार ने पिछली सरकार के जिन फैसलों की समीक्षा कर परिवर्तन करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया था, उसे अब नगरीय विकास एवं आवास विभाग अमलीजामा पहना रहा है। इसके लिए पिछले दिनों मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में हुई वरिष्ठ सचिव समिति की बैठक में अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक लाने की मंजूरी दी गई है। इसके मुताबिक नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने संशोधित विधेयक का प्रारूप तैयार कर लिया है।

Share:

Leave a Comment