रीवा(ईन्यूज एमपी)- विंध्य क्षेत्र पिछले एक सालों से भैंस को लेकर सुर्खियों में रहा है चाहे वह रिश्वत का मामला हो या फिर कंरेट से मौत या खाखी के जवान द्वारा अवकाश अर्जित करने का मामला हो .... वर्तमान के यह तीन मामले भले हास्यास्पद हों किंतु बड़े रोचक हैं । वचपन से भले ही सबको सच बोलने की शिक्षा दी जाती है लेकिन व्यवहारिक जीवन में सच बोलने वाला कई बार परेशान होता है या हंसी का पात्र बनता है। इसी बात का ताजा उदाहरण वर्तमान में देखने को मिला है, जी हां रीवा जिले के 9 वीं बटालियन के एक आरक्षक द्वारा अपनी वास्तविक समस्या बता कर छुट्टी की मांग की गई जिस पर ना सिर्फ उसका मजाक उड़ाया गया बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उसे फटकार भी लगाई इस घटना के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि झूठ व बहाने बनाकर जो काम कराया जा सकता है कई बार सच बोलने पर वही काम दूभर हो जाता है। बता दें कि रीवा जिले की 9 वीं बटालियन में पदस्थ आरक्षक चालक कुलदीप तोमर द्वारा विगत दिनों छुट्टी के लिए आवेदन अपने अधिकारियों को दिया गया था जिसमें युवक ने बिना किसी मिथ्या वचन या झूठा बहाना बनाए अपनी वास्तविक समस्या बताते हुए लिखा था कि उसकी मां बीमार है जिसका उसे इलाज करवाना है साथ ही उसके घर एक भैंस भी है जिसने पिछले दिनों बच्चे को जन्म दिया है, उस भैंस से उसका खासा लगाव है, एवं उसी भैंस का दूध पीकर उसका सलेक्शन पुलिस विभाग में हुआ है। इस समय भैंस की देखभाल करने वाला घर में कोई नहीं है जिस कारण से मुझे छुट्टी दी जाए ताकि मैं अपनी मां का इलाज करा सकूं व अपनी भैंस की कुछ दिनों तक सेवा कर सकूं। आरक्षक के इस आवेदन पत्र के बाद चारों ओर हंसी मजाक व चर्चा का बाजार गर्म हो गया यही नहीं पत्र वायरल होने के बाद अधिकारियों द्वारा उक्त आरक्षक को बुलाकर फटकार भी लगाई गई साथ ही पत्र की जांच कराई जा रही है लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि किसी के द्वारा इस बात की ओर गौर नहीं किया गया कि आरक्षक द्वारा बिना किसी बहाने के अपनी वास्तविक समस्या अपने अधिकारियों के समक्ष रखी गई खैर बात जो भी रही हो भले ही पत्र पढ़कर हास्य रस का अनुभव होता हो लेकिन यह बात तो तय है कि आरक्षक द्वारा बिना डरे अपनी वास्तविक समस्या बताकर छुट्टी की मांग की गई है अब देखना है कि अधिकारी इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं ।