भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश में सरकार में रहते कांग्रेस जिस तरह प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर किसी एक नेता का नाम तय नहीं कर पाई थी, उसी तरह अब सत्ता गंवाने पर नेता प्रतिपक्ष तय नहीं कर पा रही है। सरकार बनाते समय विधायक दल ने कमल नाथ को अपना नेता चुना था और वे मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन सरकार गिरने के बाद पार्टी विपक्ष में आ गई और आज तक विधानसभा सचिवालय को नेता प्रतिपक्ष की सूचना नहीं दे गई है। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष को लेकर पार्टी में संशय की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि कुछ दिन पहले पार्टी के वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह की इस पद पर ताजपोशी होते-होते रह गई थी और मामला टल गया। बताया जा रहा है कि मानसून सत्र के पहले नेता प्रतिपक्ष की ताजपोशी जरूरी है। कमल नाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तरह प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष को लेकर पार्टी में सवा साल तक जद्दोजहद चलती रही थी, उसी तरह अब सरकार गिरने के बाद पार्टी के लिए नेता प्रतिपक्ष का पद हो गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के लिए लगातार मांग करते रहे थे, लेकिन पार्टी इस पर फैसला ही नहीं कर पाई। सत्ता जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष को लेकर संगठन ने कवायद शुरू की थी। सूत्रों ने बताया कि कोरोना लॉकडाउन में ही नेता प्रतिपक्ष के लिए वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह के नाम की घोषणा होने वाली थी, लेकिन कुछ अन्य वरिष्ठ विधायकों के विरोध के नाम पर यह फैसला टल गया। एक व्यक्ति-एक पद की परंपरा कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद की परंपरा रही है। प्रदेश में गुटबाजी के कारण इस पर अमल नहीं हो पा रहा है। कमल नाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने की इच्छा भी जताई थी, लेकिन प्रदेश में गुटबाजी और पसंद-नापसंद के चलते सरकार जाने तक भी इस पर फैसला नहीं हो सका। अब फिर वही स्थिति बन रही है। कमल नाथ तो अभी पीसीसी अध्यक्ष हैं पर नेता प्रतिपक्ष के नाम पर असमंजस की स्थिति है। हालांकि, अभी ऐसी संकट की स्थिति नहीं है कि नेता प्रतिपक्ष के कारण पार्टी का कोई काम रुका रहा हो, लेकिन मानसून सत्र के पहले पार्टी को यह फैसला अनिवार्य रूप से लेना होगा।