मुरैना (ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित देवरी ईको सेंटर पर 25 से 30 मई के बीच घड़ियाल (एलिगेटर) के 128 अंडों में से बच्चे बाहर निकले हैं। उचित समय और तापमान पर ही ये बच्चे अंडों से बाहर निकलते हैं। अब वन विभाग के विशेषज्ञ बाकी बचे 72 अंडों में से 'मदर कॉल (अंडों से बच्चों की पुकार) आने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि पता लग सके कि ज्यादा से ज्यादा और कितने अंडों से बच्चे बाहर आते हैं। हर साल की तरह इस साल भी मध्य प्रदेश का वन विभाग 200 अंडे चंबल नदी से देवरी ईको सेंटर में लेकर आया था। इन अंडों को यहां रेत से कृत्रिम घोंसले बनाकर इनमें करीब डेढ़ मीटर गहराई में दबाकर रखा जाता है। मई के आखिर से लेकर जून के पहले हफ्ते तक इन अंडों से बच्चे निकलते हैं। जिन्हें देवरी ईको सेंटर पर पांच साल तक रखा जाता है। 135 सेमी (करीब साढ़े चार फीट) लंबाई होने के बाद इन घड़ियालों को चंबल और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनुसंशित किसी भी दूसरी नदी में छोड़ दिया जाता है। अंडों से आती है विशेष आवाज जहां प्राकृतिक वातावरण होता है वहां तो मां घड़ियाल अपने घोंसलों के आसपास रहती है। ऐसे में अंडों से बाहर आने के लिए घड़ियाल के बच्चे एक विशेष आवाज निकालते हैं, जिसे 'मदर कॉल कहा जाता है। इसे सुनकर मादा घड़ियाल रेत खोद देती है और अंडों से घड़ियाल बाहर आने शुरू हो जाते हैं। लेकिन कृत्रिम रूप से बने घोंसलों में देवरी ईको सेंटर के विशेषज्ञ ही इस 'मदर कॉल को सुनते हैं और बच्चों को अंडों से बाहर आने में मदद करते हैं।