भोपाल (ईन्यूज एमपी)-प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री Shivraj Singh Chouhan के प्रयासों से आज फिर तेलंगाना राज्य से विशेष ट्रेन के माध्यम से 1030 श्रमिक, जो अन्य राज्यो में कार्यरत थे को भोपाल स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर लाया गया। इन नैतिक जिम्मेदारियों को साकार रूप देते हुए जिला प्रशासन ने आज तेलंगाना राज्य में लॉक डाउन के दौरान फसे 1030 श्रमिकों को लाकर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बस द्वारा भेजा गया। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री तरुण पिथोड़े के नेतृत्व में जिला प्रशासन द्वारा इन सभी श्रमिकों की मेडिकल स्क्रीनिंग कराई गई। इसके बाद यात्रा के दौरान भोजन, नाश्ता के पैकेट और पानी की बोतल देते हुए इन्हें इनके निवास स्थान के लिए रवाना किया। प्रदेश के विभिन्न जिलों में निवासरत श्रमिकों में बालाघाट के 307, बैतूल के 50, भोपाल के 100, हरदा के 2, रायसेन के 7, सीहोर के 4, विदिशा के 9, भिंड के 46, अशोकनगर के 2, दतिया के 42, ग्वालियर के 12, मुरैना के 46, श्योपुर के 2, शिवपुरी के 7, बड़वानी के 44, बुरहानपुर के 5, धार का 1, इंदौर के 3, झाबुआ के 7, खंडवा 7, खरगोन के 5, छिंदवाड़ा के 54, नरसिंहपुर के 12, छतरपुर के 25, दमोह के 36, पन्ना के 40, सागर के 7, टीकमगढ़ के 23, देवास के 4, रतलाम के 15, उज्जैन के 4, सिवनी के 95, निमाड़ के 01 और अन्य जिले के 6 श्रमिकों को विभिन्न बसों के माध्यम से भेजा गया। विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत इन मज़दूरों में बड़े, बुजुर्ग, महिलायें और बच्चे शामिल थे। इन सभी मज़दूरों और उनके परिवार के सभी सदस्यो ने मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा की गई मदद का ह्रदय से आभार प्रकट किया। उन्होंने ने कहा की इस संक्रमण और महामारी के दौरान हमारा विशेष ध्यान रखते हुए हमें घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। इस विषम परिस्थिति में हमें यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है इसके लिए हम शासन-प्रशासन के आभारी रहेंगे। जिला प्रशासन द्वारा इन सभी श्रमिकों की चिकित्सको द्वारा मेडिकल जांच की गई। साथ ही सभी श्रमिकों के लिए भोजन और बसो का प्रबंध किया गया। मानव सेवा की यह पहल को शासन और जिला प्रशासन के नैतिक और मानवीय दृष्टिकोण को चरितार्थ किया है। लॉक डाउन के दौरान ये सभी श्रमिक काफी समय से अपने गृह निवास जाने में असमर्थ थे। रोजगार ना मिलने और आर्थिक स्थिति दयनीय होने से यह तनाव में आ गए थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान के अथक प्रयासो और नेतृत्व क्षमता से यह संभव हो पाया है और आज ये सभी श्रमिक अपने-अपने घरों की ओर रवाना हो रहे है।