भोपाल(ईन्यूज एमपी)- भाजपा के चक्रव्यूह में घिरी कमल नाथ सरकार ने गुजरे दो तीन दिनों में विभिन्न् आयोगों में धड़ाधड़ नियुक्तियां कर अंदरखाने समीकरण साधने की कोशिश की है। बुधवार को इस अभियान को और गति देते हुए आयोग में नामित किये गये पांच अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया। इस सिलसिले में शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। इस फैसले से भाजपा की नाराजगी और बढ़ गई है। सामान्य प्रशासन विभाग की अवर सचिव रंजना पाटने ने बुधवार को आयोग के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिये जाने का आदेश जारी किया। इस आदेश के मुताबिक राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा, राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, राज्य अनुुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जेपी धनोपिया और युवा आयोग के अध्यक्ष अभय तिवारी को कैबिनेट मंत्री के स्तर का दर्जा मिलेगा। यह आदेश बुधवार से ही प्रभावी हो गया है। कमल नाथ सरकार इस समय जहां भाजपा से मोर्चा लेने में जुटी है वहीं वह पार्टी के भीतर भी समीकरण साधने में जुटी है। विधायकोें से जुड़े पार्टी के प्रभावी नेताओं को विभिन्न् पदों पर आसीन किया जा रहा है। यद्यपि इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने राज्यपाल को पत्रक सौंपकर इन नियुक्तियों को रद्द करने की मांग उठा दी है। एक खेमा इन नियुक्तियों पर रोक लगाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने जा रहा है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि अल्पमत में आ चुकी कमल नाथ सरकार अलोकतांत्रिक फैसले कर रही है। वहीं, पूर्व मंत्री नरोत्त्तम मिश्र ने चेतावनी दे दी है कि यह सभी आदेश एक ही कलम से निरस्त कर दिये जाएंगे।