नई दिल्ली(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश से कद्दावर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने होली के दिन कांग्रेस पार्टी को झटका दिया है. सूबे के मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराज चल रहे सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने खुद इसकी जानकारी ट्वीट कर दी. सिंधिया ने इस्तीफे में लिखा है कि वो पिछले 18 सालों से कांग्रेस के सदस्य थे. उन्होंने लिखा कि मेरा लक्ष्य देश के लोगों के लिए काम करना रहा है और मेरा मानना है कि अब इस पार्टी में रहकर मैं यह नहीं कर सकता. कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को तत्काल प्रभाव से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से निष्कासित करने को मंजूरी दे दी है. सिंधिया कई दिनों से पार्टी से नाराज चल रहे थे. सिंंधिया के साथ ही उनके समर्थक मंत्री और विधायकों ने भी अपना इस्तीफा भेज दिया है. सिंधिया के कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के साथ ही ही मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार का सियासी संकट और गहरा गया है. इस बीच इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद टंडन ने भी इस्तीफा दे दिया है. पिछले डेढ़ साल से वे पार्टी से नाराज़ चल रहे थे. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ये पार्टी के लिए बड़ी हानि है और मेरा मानना है कि अब मध्य प्रदेश में हमारी सरकार नहीं टिक पाएगी. वर्तमान में यही भाजपा की राजनीति है जो हमेशा ही विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश करती है. अपना इस्तीफा देने से पहले सिंधिया पहले गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे. इसके बाद वे उनके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने उनके निवास लोक कल्याण मार्ग पहुंचे थे. पीएम से मिलने के बाद ही सिंधिया ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. सिंधिया बहुत जल्द ही भाजपा का दामन थाम सकते है. सूत्रों के अनुसार भाजपा उन्हें राज्यसभा में भेज सकती है. वहीं संसद सत्र के बाद होने वाले कैबिनेट विस्तार में उन्हें मोदी सरकार में अहम मंत्रालय भी दिया जा सकता है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस की 230 विधानसभा सीटे है. इनमें से दो सीटे खाली है. मौजूदा विधानसभा में 228 है. कांग्रेस पार्टी के 114 विधायक है. वहीं राज्य में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 115 है. कांग्रेस को 4 निर्दलीय, 2 बसपा,2 बीएसपी और एक सपा विधायक का समर्थन हासिल है. इस तरह कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों का समर्थन है. जबकि भाजपा के पास 107 विधायक है. ऐसे में अब सिंधिया समर्थकों ने जब कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है तो कांग्रेस सरकाल अल्पमत में आ गई है.