सीधी (सचीन्द्र मिश्र) प्रदेश की सरकार इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है भोपाल से दिल्ली तक यह चर्चा आम हो चुकी है , सरकार के समर्थित विधायकों की लुका छुपी खींचातानी का बाजार गर्म है , इसके पीछे कौन अपना उल्लू सीधा करने में तुला है ..? इस तरह के तमाम राज इस राजनीति के हंथकंडे में जरूर छुपा है । हालांकि इस तरह की चर्चाएं कांग्रेस की सरकार बनते ही शुरू हो गई थी लेकिन अब तक ऐसा कोई संकट देखने को नहीं मिला है। यह अलग बात है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल के विधायक आए दिन कोई ना कोई बयान देकर संकट खड़ा कर देते हैं। बता दें कि अबकी बार बसपा और सपा के कुछ विधायक नहीं मिल रहे हैं जिसे लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ गई है, आखिर बढे भी क्यों ना जब कांग्रेस और भाजपा के कद्दावर नेता और कार्यकर्ता दबी जुबान स्थानीय स्तर पर भी बोलना शुरू कर दिए हैं। विधायक रामबाई चुनाव बाद से ही चर्चाओं में रही है एक बार फिर इस विधायक ने कांग्रेश की धड़कन बढ़ा दी है तो वही भाजपा के नेताओं की धड़कन तेज हो गई है दोनों ही नेताओं की निगाहें बसपा के इस विधायक और सपा के कुछ विधायकों पर टिकी है। राष्ट्रीय स्तर और प्रदेश स्तर की बात करें तो वहां भी राजनीति के जानकार और सलाहकार तरह तरह की बातें कर रहे हैं। खास बात तो यह है कि कांग्रेस और भाजपा के दोनों ही नेता खुद को कम नहीं समझ रहे हैं जिसका नतीजा यह है कि यह दावे भी करने में पीछे नहीं है। वहरहाल मामला जो भी हो लेकिन कोई भी दल किसी से कम नही एक दूसरे का सहारा लेकर अपनी अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में लगे हैं । चूंकि सामने राज्यसभा का चुनाव है , और अपनी अपनी जुगाड़ को लेकर नौटंकी में लीन है ...?